SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 83
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मध्य भारत। [५७ जातिसे बताते हैं। इनका संवत् सन् २४९ ई०से शुरू होता है । उनका मुख्य स्थान नर्वदा नदीपर महिस्मती या महेश्वरपर था। यही उनकी राज्यधानी थी। छट्ठी शताव्दीमें ये कलचूरी लोग प्रसिद्ध शासक हो गए, क्योंकि वादामी (बीजापुर ) का राजा मंगलिसी लिखता है कि उसने चेदीके कलचूरी राजा बुद्धवर्मनपर विजय प्राप्त की थी। बृहत संहिता नामा ग्रंथमें चेदी लोगोंको प्रसिद्ध मध्यप्रांतकी नाति बताया है। सातवीं शताब्दीके अंतमें कलचूरी लोगोंने बघेलखंडका सर्व प्रदेश लेलिया था तब उनका मुख्य स्थान कालिंजर पर था। इस समय बुन्देलखंडमें चंदेला, मालवामें परमार, कन्नोजमें राष्ट्रकूट व गुजरात और दक्षिण भारतपर चालुक्य राज्य करते थे। कलचूरी लेख है कि उन राजाओंने चंदेलराजा यशोवर्मा (सन् ९२५-५५) से युद्ध किया था । इस यशोवर्माने कालिंजर लेलिया । अब भी कलचूरी लोग १२वीं शताब्दीतक राज्य करते रहे । यहां नागोदपर भरहुत स्तूप सन् ई०से तीसरी शताब्दी 'पूर्वका है। . (२) बुन्देलखंड-इसमें जिला जालोन, झांसी, हमीरपुर और चांदा गर्मित हैं । ११६०० वर्गमील स्थान है। ___ • इसका इतिहास यह है-पहले गोहरवारोंने, फिर परिहारोंने, फिर चंदेलोंने राज्य किया। जिस चंदेलवंशका स्थापक नानक शायद नौमी शताब्दीके प्रथम अर्धभागमें हुआ है। चंदेलोंका चौथा राजा राहिल (सन् १९०-९१०) था । इसने महोवामें रोहिल्यसागर नामका सरोवर तथा एक मंदिर बनवाया जो अब नष्ट होगया है।
SR No.010443
Book TitlePrachin Jain Smarak Madhyaprant Madhya Bharat Rajuputana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1926
Total Pages185
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy