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मध्य भारत।
[५५ १७४३ से मरहटोंने अपना अधिकार जमाया। अहल्यावाईने हुलकर राज्यपर सन् १७६७से १७९५ तक राज्य किया। इसकी न्यायप्रियता व योग्यता भारतमें उदाहरणरूप है।
पुरातत्व-प्राचीन स्मारकके प्रसिद्ध स्थान नीचे लिखे स्थानोंपर हैं-(१) प्राचीन उज्जैन, (२) वेशनगर, (३) धार, (४)मन्दसोर, (५) नवर, (६) सारंगपुर, (७) अजयगढ़, (८) अमर-, कंटक, (९) वाघ, (१०) वरो, (११) बड़वानी, (१२) भोजपुर, (१३) चन्देरी, (१४) दतिया, (१५) धमनार, (१६) ग्वालियर, ; (१७) ग्यासपुर, (१८)खनराहा, (१९)मांड,(२०) नागोद, (२१) नरोद, (२२) ओर्छा, (२३) पथारी, (२४) रीवा, (२५) सांची, : (२६) सोनागिरि, (२७) उदयगिरि, (२८) उदयपुर। .
प्राचीन सिक्के पहली शताब्दीके सांची और भरहुतके स्तूपोंके ; समयके मिलते हैं। गुप्त समयके दो लेख मिलते हैं-एक गुप्त संवत ८२ या सन् ४०१ का; दूसरा सबसे पिछला गुप्त सं० ३०२ या • सन् ६४० का रतलाममें । मंदसोरका शिलालेख जो मालवाके वि० सं०.४९३ या सन् ४३६का है बहुत उपयोगी है । यह इस बातको प्रमाणित करता है कि विक्रम संवतके साथ मालवाकी शक्तिका क्या प्रभुत्व है ? मध्यप्रांतमें चारों तरफ सन ई०से ३०० वर्ष पहलेसे : आजतकके अनेक शिल्प पाए जाते हैं। सन् ई०से ३०० वर्ष पहले बौद्धोंके स्मारक भिलसाके चारों तरफ तथा सबसे बढ़िया सांची स्तूपमें पाए जाते हैं । नागोदमें भरहुतपर जो स्तुप है वह तीसरी शताब्दी पूर्वका है।
जैनियोंके ढंगके बहुतसे मकान व मंदिर थे जो अब लुप्त -