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________________ www ५४] प्राचीन जैन स्मारक । चंदेलोंने राज्य किया । ये सब प्रसिद्ध ऐतिहासिक वंश हैं। गुर्जर-ये लोग राजपूताना और पश्रिम तटकी भूमि गुजरात . पर बसते थे । इन्होंने मध्य भारतको ८ वीं शताब्दीमें ले लिया । इनकी दो शाखाएं थीं उनमें से परिहार राजपूतोंने बुन्देलखण्ड पर और परमार राजपूतोंने मालवा पर अधिकार किया । सन् ८८५ में भोज प्रथमकी मृत्युके पीछे गुर्जरोंकी शक्ति क्षीण हो गई क्योंकि बुन्देलखण्डमें चन्देलवंशी नर्वदाके पास कलचूरी वंशी तथा राष्ट्रकूटोंका प्रभाव बढ़ गया। सन् ९१५ में, मालवाके परमार वंशने इन लोगोंकी सत्ता हटा दी। तब मध्यभारतका शासन इस तरह बढ़ गया कि परमार लोग मालवामें जमे ।। उनकी राज्यधानी उज्जैन और धार हुई: परिहार लोग ग्वालियरमें. डट गए; चंदेले बुन्देलखण्डमें जमे-इन्होंने अपनी राज्यधानी महोबा: और कालिंजरको बनाया । चेदी या कलचूरी वंशज रीवा राज्यमें राज्य करते रहे । जब महमूद गजनीने भारत पर हमला किया तब बुन्देलखंडका चन्देलराजा धंजा और लाहौरके जयपालने मिलकर लम्घानपर सन् ९८८में सुबुक्तगीनके साथ युद्ध किया था। चौथे हमले में महमूदका सामना पेशावरमें लाहोरके आनन्दपालने,. ग्वालियरके तोंवरराजाने, चन्देलमहाराज गंदा (सन् ९९९-१०२५) ने मालवाके परमार राजा (यातो भोज हो या उसका पिता सिंधुराज हो) ने युद्ध किया था। महमूदके १०३०में मरणके पीछे मुसल्मानोंने १२वीं शताब्दीतक मध्य भारतकी तरफ मुख नहीं किया । सन् १२०६ से १५२६ तक पठान फिर मुगल बादशाहोंने अधिकार रक्खा । सन:
SR No.010443
Book TitlePrachin Jain Smarak Madhyaprant Madhya Bharat Rajuputana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1926
Total Pages185
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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