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________________ मध्य प्रान्त । [ ५१ (२) सातगांव - बुलडानासे पश्चिम दक्षिण १० मील । खास सड़क पर एक विष्णु मंदिरके उत्तर एक प्राचीन जैन मंदिरके चार खंभे अवशेष हैं तथा दो जैन मूर्तियें हैं । एक श्री पार्श्वना जीकी है उसपर शाका ११७३ या सन् १२९१ है । यह दिगम्वर है । इसके उत्तर पश्चिममें थोड़ी दूर एक पीपल वृक्षके नीचे - बहुतसी प्राचीन जैन मूर्तियोंके खंड हैं । तथा एक चबूतरेपर एक खंडित देवी की मूर्ति है । मस्तकपर फूलों की माला बनी है। उसके ऊपर पद्मासन जैन प्रतिमा है । इसलिये यह जैनियोंकी देवीकी मूर्ति है । ऊपर जिस पार्श्वनाथकी मूर्तिका लेख शाका ११७३ का दिया है वहां पर वह भी लेख है कि इस मूर्तिकी प्रतिष्ठा तेलुगु जैन कंथतय्या सेठीके पुत्र जैन ने कराई |
SR No.010443
Book TitlePrachin Jain Smarak Madhyaprant Madhya Bharat Rajuputana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1926
Total Pages185
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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