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प्राचीन जैन स्मारक। सं० ५५५को स्थापित हुई थी जिसको करीब १५०० वर्ष हुए।
"Descriptions of list of inscriptions in C. P. & Berar by R. B. Hiralal B. A. 1916 "
नामकी पुस्तकमें सफा १३५ में इस भांति लिखा है “ यह अंतरीक्ष पार्श्वनाथका मंदिर दिगम्बर जैन समाजका है । संस्कृतमें एक बड़ा शिलालेख सन् १४०६ का है परन्तु मि० कौशिनसाहब (Cousin's progress report 1902 P. 3) कहते हैं कि यह मंदिर कमसे कम १०० वर्ष पहले बना है। लेखमें अन्तरीक्ष पार्श्वनाथका तथा मंदिरके बनानेवाले जगसिंहका नाम आया है।"
सं० नोट-ऊपर तीनों लेख पढ़नेसे विदित होता है कि १५०० वर्ष हुए।तब मैंोरेमें मूर्ति स्थापित की गई थी तथा ऊपर दूसरा मंदिर सन् १४०६में बना है । . (४) तिलहारा-तालुका अकोला, यहांसे पश्चिम १७ मील। यहां श्वेताम्बर जैन मंदिर है जो हालमें बना है । मूर्ति सुवर्णकी पद्मप्रभुजीकी है।
(२५) बुलडाना जिला। चौहद्दी यह है कि-उत्तरमें पूर्णनदी, पूर्वमें अकोला, दक्षिणमें निजाम, पश्चिममें निजाम और खानदेश ।
यहां २८०६ वर्गमील स्थान है।
(१) मेहकर-बुलडानासे दक्षिणपश्चिम ४२ मील। यहां बालाजीका एक नवीन मंदिर है, उसमें एक खंडित जैन मूर्ति है उसपर छोटासा लेख है । संवत १२७२ है। इस मूर्तिको आशाधरकी स्त्री पद्मावतीने प्रतिष्ठित कराया था।