SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 69
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४२ ] प्राचीन जैन स्मारक | और उत्तरीय कलचूरी एक ही वंशके हैं । सन् २४९ से लेकर १२वीं शताब्दी तक उन्होंने दाहल या नर्मदा प्रांत में राज्य किया । उनका चिन्ह सुवर्ण वृषभध्वज था । कर्णदेव राजाकी मोहरपर एक वृषभ है उसके पास चार भुजाकी देवी एक हाथीपर है। हर ओर उसपर अभिषेक होरहा है । [१८] विलासपुर जिला । चौहद्दी यह है- दक्षिण रायपुर, पूर्वदक्षिण रायगढ़ व सार-. नगढ़ राज्य, उत्तरपश्चिम शतपुरा पहाड़ी । यहां ८३४१ वर्गमील स्थान है । इतिहास - यहां के शासक रतनपुर और रायपुरके हैहयवंशी राजपुत रहे हैं । जिनका सबसे प्रथम राजा मयूरध्वज हुआ है । इनके पास ३६ किले थे, इसीसे इस प्रांतको छत्तीसगढ़ कहते हैं। वीसवां राजा सन् १००० में सूरदेव व ४६ वां राजा कल्याणशाह था जिसने १९३६ से १९७३ तक राज्य किया । पुरातत्व - विलासपुरले उत्तर १६ मील रतनपुर - हैहयवंशका प्राचीन राज्यस्थान था । बहुत सुन्दर मंदिर जंजगिर, पाली व पेंडरा से ५ मील धनपुर में हैं । (१) रतनपुर - इसको १०वीं शताब्दी में रत्नदेवने बसाया था । इसके ध्वंश स्थान १५ वर्गमील में हैं । ३०० सरोवर हैं व अनेक मंदिर हैं। यहां महामायाका मंदिर हैं जिसके पास बहुतसी मूर्तियों का ढेर है, उनमें अनेक जैन मूर्तियां हैं । (२) अदभार - चन्दनपुर राज्य में विलासपुरसे ४० मील
SR No.010443
Book TitlePrachin Jain Smarak Madhyaprant Madhya Bharat Rajuputana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1926
Total Pages185
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy