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प्राचीन जैन स्मारक |
और उत्तरीय कलचूरी एक ही वंशके हैं । सन् २४९ से लेकर १२वीं शताब्दी तक उन्होंने दाहल या नर्मदा प्रांत में राज्य किया । उनका चिन्ह सुवर्ण वृषभध्वज था । कर्णदेव राजाकी मोहरपर एक वृषभ है उसके पास चार भुजाकी देवी एक हाथीपर है। हर ओर उसपर अभिषेक होरहा है ।
[१८] विलासपुर जिला ।
चौहद्दी यह है- दक्षिण रायपुर, पूर्वदक्षिण रायगढ़ व सार-. नगढ़ राज्य, उत्तरपश्चिम शतपुरा पहाड़ी ।
यहां ८३४१ वर्गमील स्थान है ।
इतिहास - यहां के शासक रतनपुर और रायपुरके हैहयवंशी राजपुत रहे हैं । जिनका सबसे प्रथम राजा मयूरध्वज हुआ है । इनके पास ३६ किले थे, इसीसे इस प्रांतको छत्तीसगढ़ कहते हैं। वीसवां राजा सन् १००० में सूरदेव व ४६ वां राजा कल्याणशाह था जिसने १९३६ से १९७३ तक राज्य किया ।
पुरातत्व - विलासपुरले उत्तर १६ मील रतनपुर - हैहयवंशका प्राचीन राज्यस्थान था । बहुत सुन्दर मंदिर जंजगिर, पाली व पेंडरा से ५ मील धनपुर में हैं ।
(१) रतनपुर - इसको १०वीं शताब्दी में रत्नदेवने बसाया था । इसके ध्वंश स्थान १५ वर्गमील में हैं । ३०० सरोवर हैं व अनेक मंदिर हैं। यहां महामायाका मंदिर हैं जिसके पास बहुतसी मूर्तियों का ढेर है, उनमें अनेक जैन मूर्तियां हैं ।
(२) अदभार - चन्दनपुर राज्य में विलासपुरसे ४० मील