SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 67
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मध्य प्रान्त। [३६ पुरातत्व-यहां बहुत स्मारक हैं ।. उनमेंसे आरंग, राजिन' और सिरपुरके प्रसिद्ध हैं। बढ़िया मंदिर सिहावा, चिपटी, देवकूट, धंतरी तहसीलमें बलोद जिलेके उत्तर पूर्व खतारी और नरायणपुर, रायपुरनगरके पास देववलोदा और कुंवार पर हैं। बौद्धोंके स्मारक द्रुग-राजिना, सिरपुर तथा तुरतुरिया पर हैं। इस जिले में होकर एक बहुत पुरानी व प्रसिद्ध सड़क गंनम और कटकको जाती है । अब उसका पता भांदकके पासले यहां होकर लगता है। भांदक पहले एक बड़ा नगरं था। (१) आरंग-ता० रायपुर-यहांसे २२ मील | यह जैन मंदिरोंके लिये प्रसिद्ध है। यहांक जैन मंदिरोंके वाहर जैन देवी देवताओंके चित्र हैं। एक मंदिरके भीतर तीन विशाल नन्न मूर्तियां कृष्ण पाषाणकी बहुत स्वच्छ कारीगरीकी हैं। यहां एक बड़ा नगर था व जैनियोंके बहुत मंदिर थे अब यह एक ही रह गया है। यह . भी गिरजाता! यदि सर्वे करनेवाले लोहेकी संलाखोंसे रक्षित न करते। यह मंदिर देखने योग्य है । रायपुर गनटियर सन् १९०९के पृष्ठ२५२ पर इस मंदिरका चित्र दिया है। इसको भांददेवल कहते हैं। इस नगरके पश्चिममें एक सरोवरके तटपर एक छोटा मंदिर महामायाका है। यहां बहुतसी खंडित मूर्तियां रक्खी हैं। एक खंडित पाषाण है, जिसमें केवल १८ लाइन लेखकी रह गई हैं। इस मंदिरके वाड़ेके भीतर तीन नग्न जैन मूर्तियां हैं जिनपर चिन्ह हाथी, शंख व गैंडेके हैं जो क्रमसे श्री अजितनाथ, श्री नेमिनाथ व श्री श्रेयांशनाथकी हैं । (सन् १९०९) से पूर्व करीब ६ या ७ वर्ष हुए
SR No.010443
Book TitlePrachin Jain Smarak Madhyaprant Madhya Bharat Rajuputana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1926
Total Pages185
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy