SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 65
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ~ ~ ~ मध्य प्रान्त। ३७ यहां श्री महावीरस्वामीका जैन मंदिर प्राचीन है। यहां एक पुरुष प्रमाण कृष्ण पाषाणकी बहुत ही मनोज जैन मूर्ति श्री पार्श्वनाथनीकी एक मकानकी नींव खोदते हुए मिली है। भंडाराका प्राचीन नाम 'भानार' है ऐसा रतनपुरके सन् ११०० के लेखसे प्रगट है। यह प्राचीन नगर था। [१५] बालाघाट जिला । ___ चौहद्दी-उत्तरमें मांडल, पूर्वमें विलासपुर, दुग | दक्षिणमें भंडारा । पश्चिममें सिवनी । यहां ३१३२ वर्ग मील स्थान है इतिहास-यहां लौनी स्थानपर हैहय वंशी राजाओंने राज्य किया था, जिनकी उत्पत्ति संवत् ४१५ या सन् ई० ३५८ के जादोरायसे थी। यह गढ़ाका राजा था। सन् ६३४में १०वां राजा गोपालशाह था जन मांडला प्राप्त हुआ था। पृरातत्त्व-यहां कटंगीके पास वीसापुरमें, संखर, भीमलाट, भीरीके पास सावरझिरीमें प्राचीन स्मारक हैं। (१) मीरी-यहां कुछ जैन मूर्तिये हैं। (२) वाराशिवनी-चुनई नदीपर-यहां परवारोंके सुन्दर जैन मंदिर हैं। (३) जोगीमढी-ग्राम धीपुर-बहरसे उत्तर पश्चिम १५ व बालाघाटसे ४१ नील । यहां बौद्ध स्नारक हैं व मंदिर हैं। (शायद जनके.भी हों) (४) धनमुआ-यहां बौद्ध गिलाके प्राचीन मंदिर हैं। (५) धीपुर-बैहरसे उत्तर पश्चिम १२ मील यहां प्राचीन मंदिर हैं।
SR No.010443
Book TitlePrachin Jain Smarak Madhyaprant Madhya Bharat Rajuputana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1926
Total Pages185
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy