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प्राचीन जैन स्मारक |
[१४] भंडारा जिला ।
चौहद्दी यह है । उत्तरमें बालाघाट, सिवनी । पूर्वमें छेरीकदन, खेरागढ़ व नांदगांव राज्य । पश्चिममें नागपुर, दक्षिण में चांदा । यहां ३९६९ वर्ग मील स्थान है ।
इतिहास - राघोली ( जि० बालाघाट ) में जो ताम्रपत्र मिला है उसमें डोल वंश के राजाका नाम है । राज्यधानी- श्री वर्धनपुर । रामटेक पास जो नगरवन है वह नंदिवर्द्धनका प्राचीन नाम है । इसे शायद इस वंश के राजाने वनाया हो । सन् ९४० के वर्धाके देवली राष्ट्रकूट ताम्रपत्र अनुसार नगरधन एक प्रसिद्ध स्थान था | ? गढ़के अन्त में भंडाराचा एक भाग मालवा के परमार या पंचारके राज्य में गर्भित | सीतावल्दी (नागपुर) का पाषाण जो मन ११०४-२ का है बनाता है कि उनकी ओरले नागपुर में ऋषि थे ।
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यह बहुत सम्भव है कि नागपुर और भंडारा में जो वर्तमान परवार जाति है वह उन अधिकारियोंकी संतान हों, जिन्हें नालबाके राजाओंने यहां नियत किया हो ।
It is possible that the existing Parwar caste of Nagpur and bhandata are a relic of temporary officers in Name of Kings of Malwa. {See Bhandara Gazetter ( 1908). पुरातत्व - यहां तिलोता-खगने पापा के स्तम्भ हैं । अनके पास पद्मापुर में प्राचीन इमारतें हैं। प्राचीन मंदिर अधिकतर हेमदपंत के 'अयाल, चकती, करम्बी, पिंगलई व भंडारा नगरनें हैं । (१) अयाल या अद्यार- भंडारा नक्षिण १७ मील