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. मध्य प्रान्त।
[३५ बारहवीं शताब्दी तक राज्य किया फिर गोंद वंशका शासन हुआ। चन्दाके राजाओंको बल्लारशाही कहते थे। गोंद वंशके १९ राजाओंने १७५१ तक राज्य किया । १५ वीं शताब्दीके प्रारम्भमें नौमा राजा वल्लालशाह हुआ । ११ वां हीरशाह हुआ, जिसने चन्दाका किला बनवाया था । इसका पोता कर्णशाह था जिसने हिंदू धर्म धारण कर लिया था (सं० नोट-मालूम होता है कि पहले ये राजा लोग जैनधर्मी होंगे क्योंकि मांढकमें जैन धर्मके. बहुतसे स्मारक हैं )। आईने अकवरीमें कर्णशाह के पुत्रका वर्णन है। यह स्वतंत्र था, अकबरको कर नहीं देना था।
चन्दाका प्राचीन नाम चंद्रपुर था।
पुरातत्त्र-यह जिला पुरातत्वकी सामग्रीसे पूर्ण है जिनमें कथनयोग्य जरूरी सामग्री भांदक, चंदानगर और मारकंडी पर हैं। भांदक, विनवसनी, देवाल तथा घूगुमें गुफाके मंदिर हैं। बल्लालपुरके नीचे वर्धामें पापाण मंदिर हैं। मारकंडी, नेरी, वर्हा, अरमोरी देवटेक,भटाल, भांदक, वैरगढ़,वधनक, केसलावारी, घोरघे पर प्राचीन मंदिर हैं। नोट-इन सबमें जैन स्मारक होंगे। जांच करनेकी जरूरत है।
. (१) भांदक-तहसील वरोरा-यहांसे १२ मील, चन्दासे उत्तरपश्चिम १६ मील । यहां बहुत सुन्दर जैन मूर्तियोंके समूह इधरउधर ग्रामके अंत सरोवरके निकट विराजमान हैं। ग्रामसे दक्षिणपश्चिम १॥ मीलपर वीनासन नामकी बौद्ध गुफा है। __.(२) देवख्वाड़ा-भांदकसे पश्चिम ६ मील। पहाड़ीके ऊपर प्राचीन मंदिर व चार स्तम्भ हैं। चरणपादुका है, गुफाएं हैं। नोट-इसमें भेन चिन्ह अवश्य होने चाहिये, जांचकी जरूरत है।