SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 62
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३४ ] प्राचीन जैन स्मारक । (३) सावरगांव - नागपुर से ३६ मील, काटोलसे उत्तर १० मील | यहां एक सुन्दर महावीर स्वामीका मंदिर है । नोट- यहां जैन शब्द नहीं है, जांचना चाहिये । (४) उमरेर नगर - नागपुर मे दक्षिणपूर्व २९ मील। यहां १०००० कुटी लोग हैं जो हाथसे रेशमकी किनारी सहित रुईके कपड़े बुनते हैं । यहांसे प्रतिवर्ष २ लाख रुपयेका कपड़ा बाहर जाता है | नोट - इनमें कुछ जैन कुष्टी होंगे जैसा मेन्सससे प्रगट है तलाश करना चाहिये । (४) नागपुर - यहां कई जैन मंदिर हैं। यहां के म्यूजियम में जैन मूर्तिये इस तरहपर कौजन साहबकी रिपोर्टके अनुसार मन् • १८९७ में थीं । दो जैन मूर्तियां हुशंगाबादसे, कुछ जैन मूर्तियोंक भाग खंडवासे, कुछ जैन मूर्तियां चरहानपुरसे व कुछ जैन मूर्तियां नीमार, चिचोटी, वाघनदी और हांजीसे लाई हुई थीं । नोट -बरहानपुरकी मूर्तियां अखंडित व पूजा थीं जो वहांसे मिल गई हैं और परवारोंके दि० जैन मंदिर में विराजमान है । [१३] चांदा जिला । चौहद्दी -उत्तरमें नांदगांव राज्य और भंडारा, नागपुर, वर्धा, पश्चिम और दक्षिणमें येवतमाल और निजाम राज्य, पूर्वमें वस्तर और कंकड़ राज्य व द्रुग | यहां १०१५६ वर्ग मील स्थान है । इतिहास - चन्दाके निकट भांदक ग्राम वाकातक वंशकी राज्यधानी थी जिनका शासन बरार, मध्यप्रांत नर्बदा के दक्षिण बाई गंगातकं था। शिलालेखोंसे प्रगट है कि इन राजाओंने चौबीसे
SR No.010443
Book TitlePrachin Jain Smarak Madhyaprant Madhya Bharat Rajuputana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1926
Total Pages185
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy