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________________ मध्य प्रान्त । [ ३१ हैं । नीचे नए बने मंदिर में २५ मूर्तियां हैं जो सन् १४८८ से १८९३ तककी हैं। कुछ मंदिरोंमें उनके जीर्णोद्धार किये जानेके लेख हैं । एकमें सन् १६३४ है । हालमें एलिचपुरके वापूशाहने २२०००) खर्चकर सन् १८९६ में जीर्णोद्धार कराया । [१०] छिंदवाडा जिलः । इसकी चौहद्दी यह है- उत्तर हुशंगाबाद, नरसिंहपुर, पश्चिम वेतूल, पूर्व सिवनी, दक्षिण नागपुर - यहां ४६३१ वर्ग मील स्थान है— इतिहास - इसका शासन दक्षिणके मलखेड़ में राज्य करनेवाले राष्ट्रकूट वंशके आधीन था । एक ताम्रपत्र इस वंशका वेतूलके मुलताई में, दूसरा वर्धाकी देवली में मिला है। देवलीका ताम्रपत्र सन् ९४० कृष्ण तृ० महाराजके राज्यका है। इसमें कथन है कि एक कनड़ी ब्राह्मणको तालपूरुनशक नामका ग्राम जो नागपुर नंदिवर्द्धन जिलेमें था भेटमें दिया गया । नागपुर नंदिवर्द्धन जिला छिंदवाडा के दक्षिण भागको कहते थे । छिंदवाड़ामें नीलकंठी पर एक स्तम्भ मिला है, जिसपर लेख है कि यह कृष्ण तृ० राजा राज्य में बना । यह नीकंटी महगांवसे अनुमान ४० मील है इसीके निकट तालपुरनशक ग्राम है । नीलकंठीमें ७वीं व ८वीं शताब्दीके मंदिरोंके ध्वंश है । यह स्तम्भ सड़क के किनारे खड़ा है। छिंदवाड़ाके अशबुर्नर सरोवर पर कुछ प्राचीन पाषाण नीलकंठीसे लाए हुए रक्खे हैं । राष्ट्रकूट वंशी राजा सोमवंश या यदुवंशकी संतान हैं ऐसा दूसरा लेखोंसे प्रगट है ।
SR No.010443
Book TitlePrachin Jain Smarak Madhyaprant Madhya Bharat Rajuputana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1926
Total Pages185
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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