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________________ ३०] प्राचान जैन स्मारक। किसी गोहाना' के पास तीन ताम्रपत्र सन् ७०९ के हैं, जिसमें राष्ट्रकूट राजा नंदराज द्वारा-एक ब्राह्मणको ग्राम दानका वर्णन है। (१) कजली कनोजिया-तहसील मुलताई। छिंदवाड़ा जानेवाली सड़कपर विदनूरके पूर्व २४ मील वेल नदीपर मंदिरोंके ध्वंश हैं उनमें जैन मूर्तियां अच्छी कारीगरी की हैं। उनमेंसे कुछ नागपुर म्यूजियममें गई हैं। (२) श्री मुकागिरि सिद्धक्षेत्र-वर्तमानमें जैन यात्रीगण एलिचपुर होकर जाते हैं जहां मुर्जनापुर ( बरार प्रांत ) से रेल गई है। एलिचपुरसे ६ मीलके अनुमान है। यह पर्वत बहुत मनोहर है पानीका झरना वहता है । ऊपर बहुतसे दिगम्बर जेन मंदिर हैं उनमें बहुतसोंमें प्राचीन मूर्तियें हैं। वार्षिक मेला होता है। यहांसे ३|| करोड़ मुनि भिन्न २ समयमें इस कल्प कालमें मोक्ष पधारे हैं । जिसका आगम प्रमाण यह है। प्राकृत-अचलपुर वर णयरे ईसाणे भाए मेढ़गिरि सिहरे । आहुट्ठयकोडीओ णिव्याण गया णमो तेसिं ॥ १६ ॥ (प्राकृत निर्वाणकांड ) अचलापुरकी दिशा ईशान, तहां मेढ़गिरि नाम प्रधान | साडेतीन कोड़ि मुनिराय, जिनके चरण नमूं चित लाय ॥१८॥ (भैया भगवतीदास कृत) - इसके प्रबंधकर्ता सेठ लालासा मोतीसा एलिचपुर हैं। हीरालाल बी० ए० रुत सी० पी० लेख पुस्तक १९१६ में सफा ७९ पर.दिया है कि यह मुक्तागिरि बदनूरसे ६७ मील है। जैनियोंका पवित्र तीर्थ है। ऊपर ४८ मंदिर हैं जिनमें ८५ मूर्तियां.
SR No.010443
Book TitlePrachin Jain Smarak Madhyaprant Madhya Bharat Rajuputana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1926
Total Pages185
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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