________________
'२८] प्राचीन जैन स्मारक । वंशोंने राज्य किया है । एक प्राचीन जैन मंदिरका स्तम्भ खोद- . नेसे मिला है, जिससे प्रगट होता है कि यह 'शायद उसी जैन वंशके हाथमें था जिनके प्राचीन मकान खण्डवामें बनाए गए थे। इस स्तंभपर पांच राजाओं के नाम हैं। उपाधि वर्मा है, जिनमें से दोने गुप्त राजाओंकी कन्याएं १० वीं या ११ वीं शताब्दीके अनुमान "विवाही थीं। किलेका नाम आसा या आसापूरणीसे या शायद असी 'या हैहय रामाओंके वंशकी प्राचीन उपाधिसे निकला हो।ये हैहय 'राजा इस देशमें महेश्वरसे लेकर नर्बदा तटपर सन् ई० ५००के
पहलेसे राज्य करते थे । ( Tod's Vol. II. P. 442 ). इस 'असीरगढ़की चट्टानों तथा मकानोंपर बहुतसे लेख हैं (C. P. Antiquarian journal No. II)
(४) मानधाता-तालुका खंडवा, यहांसे ३२ मील, मोरटक्का ष्टेशनसे पूर्व ७ मील | पहाड़ीके ऊपर प्राचीन ऐश्वर्ययुक्त वस्तीके चिह्न रूप ध्वंश किले व मंदिर हैं। मुख्य मंदिर सिद्धनाथका है।
ओंकारजीका मंदिर हालका बना है परन्तु जो बड़े २ स्तम्भ इसमें लगे हैं कुछ प्राचीन इमारतोंसे लाए गए हैं । नदीके उत्तर तटपर कुछ वैष्णव और जैनके मंदिर हैं। मानधाताके राजा भीलाल हैं जो अपनी उत्पति चौहान राजपूतोंसे बताते हैं । चौहानोंने इसे भील सर्दारसे सन् १९६५ में ले लिया था।
सिद्धवरकूट-पहाड़ीपर प्राचीनकालमें स्थित पुराने जैन मंदिरोंके ध्वंश स्थान हैं । अब जैन जातिने मंदिरोंका नवीन दृश्य प्रगट कराया है। प्राचीन मंदिरमें कुछ मूर्तियोंपर ता० १४८८ हैं। बहुतसी मूर्तियां श्री शांतिनाथ भगवानकी हैं। पर्वतकी चोटीपर