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________________ । मध्य प्रान्त। २५ अच्छी है। प्राचीनकालमें यह लोहेकी कारीगरीके लिये प्रसिद्ध • था। पासमें लोहेकी- खानें थी । ग्राममें बहुत लुहार काम करते थे अब बहुत कम लोहा निकलता है । यह कारीगरी अब मर गई है। - 093EES.[७] हुशंगाबाद जिला । इसकी चौहद्दी है, उत्तरमें भूपालः इन्दौर, पूर्वमें नरसिंहपुर, पश्चिममें नीमाड़,दक्षिणमें छिंदवाड़ा, वेतूल और बरार । यहां ३६७६ वर्ग मील स्थान है। इतिहास-यहां राष्ट्रकूटोंका एक ताम्रपत्र मिला है। जिसमें 'लिखा है कि राष्ट्रकूट राजा अभिमन्युने पंच मढीसे ४ मील पेठं पंगारकमें स्थित दक्षिण शिवके मंदिरको उन्तिवातक नामका-ग्राम भेटमें दिया। सातवीं शताब्दीमें रीवां राज्यके नैनपुरमें राष्ट्रकूट वंश स्थापित हुआ। राठोर रानपूत यही राष्ट्रवंशी राजा हैं। पुरातत्व-यहां भिन्न २ स्थानोंपर कुछ मूर्तियां मिली हैं। सबसे अधिक उपयोगी एक मूर्ति श्री पार्श्वनाथजीकी फणसहित जैन मूर्ति है जो सन्खेरामें मिली व दूसरी एक बड़ी मूर्ति सुहागपुरमें मिली है। (१)मुहागपुर-हुशंगाबादसे ३२ मील पूर्व है। इसका प्राचीन नाम शोणितपुर है राजा भोजके भाई मुंजने अपनी राज्यधानी उज्जैनसे बदलकर यहां स्थापित की। (३) टिमरणी-टे• G. I. P. हुशंगाबादसे ५१ मील है। यहां एक खंडित जैन मूर्ति संवत १२६९ या सन् १२०८ की है।
SR No.010443
Book TitlePrachin Jain Smarak Madhyaprant Madhya Bharat Rajuputana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1926
Total Pages185
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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