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________________ २६] प्राचीन जैन सोरक। [८] नीलाड जिला इसकी चौहद्दी इस प्रकार है। उत्तरमें इंदौर, धार, पश्चिममें इन्दौर, खानदेश, दक्षिण में खानदेश, अमगवती और अकोला, पुर्वमें हुशंगावाद और बेतूल | यहां पहाड़ी और मदान बहुत है। इतिहास-सन् ५८३ तक यहां गुप्त और हनीने राज्य किया फिर थानेश्वर और कनीना बढेन वंशने सन् ६४८ तक फिर बाकतक राजाओंने राज्य किया, जिनके लेख अजन्टाकी गुफा, अमरावती, सिवनी और छिंदवाड़ा में मिलते हैं। नौमीसे १२ वीं मताब्दी तक धारके परमारोंने राज्य किया। यहां सबसे प्राचीन शिलालेख परमार राजानोंका नानधातामें मिला है इसमें लिखा है कि सन् १०५५ में परमार या पंवार राजा जयसिंहदेवने अमरेश्वरके ब्राह्मणको एक ग्राम भेटमें दिया । दूसरा शिलालेख सन् १२१ (का हरसदमें मिला जिसमें धारके राजा देवपाल देवका नाम है। तीसरा मिद्धवरके मंदिरमें १२२६ का मिला जिसमें देवपालदेवका नाम है। वहीं एक और मिला सन् १९२६का जिसमें राजा जयवर्मनका नाम है । सातवां परमार राजा भोज बहुत प्रसिद्ध हुआ है जो राजा मुंजका भतीना था। राजा भोज सन् १०१० ई० में प्रसिद्ध हुए । इसने ४० वर्ष तक राज्य किया । यहांके प्राचीन स्थान हैं। (१) खंडवा-प्राचीनकालमें जैन समाजका प्रसिद्ध स्थान रहा है । वहुतसे सुन्दर पापाण जो जैन मंदिरोंसे लाए गए हैं शहरके मकानोंमें दिखाई देते हैं। टोलेमीने इसका नाम कोनवन्द
SR No.010443
Book TitlePrachin Jain Smarak Madhyaprant Madhya Bharat Rajuputana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1926
Total Pages185
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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