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________________ २४.] प्राचीन जैन सारक। (२) नर्बदा विभाग। [६] नरसिंहपुर जिला। इसकी चौहद्दी इस प्रकार है-उत्तर-भूपाल, सागर, दमोह, जबलपुर, दक्षिण-छिंदवाड़ा, पश्चिम-हुशंगाबाद, पूर्व-सिवनी और जबलपुर । यहां १९.७६ वर्ग मील स्थान है यहांके मुख्य स्थान हैं (१) वरहटा-नरसिंहपुरसे दक्षिण पूर्व १४ मील। यहां बहुतसे प्राचीन पापाण स्तंभ व मूर्तियें मिली थीं इनमें कुछ नरसिंहपुरके टाउनहालके बागमें हैं और कुछ मूर्तिये वहांपर हैं वे जैन तीर्थंकरोंकी हैं। यह बहुत प्राचीन स्थान है-ये दि० जैनकी मूर्तियां कुछ बैठे कुछ खड़े आसन हैं। वर्तमानमें वहां ६ ऐसी मूर्तिये हैं। एक पर चंद्रका चिन्ह है इससे वह चंद्रप्रभु भगवानकी है। वहांके हिन्दू लोग इनको पांच पांडव और कृष्ण मानकर पूजते हैं और यह विश्वास रखते हैं कि इनके पूजनेसे पशुओं के रोग, शीतला, व दूसरे संक्रामक रोग चले जाते हैं। यहां वैशाख सुदीमें एक सप्ताहतक मेला भरता है। प्रबन्ध जबलपुरके राजा गोकुलदास करते हैं। ये मूर्तिये एक छोटे घेरेमें विराजित हैं। सबसे बढ़िया मूर्तियें यात्री लोग वर्लिन और वरसाको यूरोपमें लेगए । Best of sculptures said to have been taken to Berlin and Warsa by travellers. (२) तेंदूखेडा तालुका गाडरवारा । नरसिंहपुरसे उत्तर पश्चिम २२ मील । यहां एक जैन मंदिर है जिसमें पत्थरकी खुदाई
SR No.010443
Book TitlePrachin Jain Smarak Madhyaprant Madhya Bharat Rajuputana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1926
Total Pages185
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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