________________
मध्य प्रान्त ।
[१६
१० Grv
४ राजा जयनाथ १७७ राजा उचहराके पास ५ राजा हस्तिन् १९१ राजा उचहराके पास ६ , सर्वनाथ १९७ , ७ , संखम २०९
• , सर्वनाथ २१४ कनिंघम साहबके पास • ९ राजा हस्तिन् और सर्वनाथ भूभारके स्तम्भपर
नं० के शिलालेखमें पृष्ठपुरी नाम आया है। ___ () पटैनीदेवी-पिथौराकी बड़ी देवी जिसको आजकल पटैनीदेवी कहते हैं। इसकी ४ भुनाएं हैं व साथमें बहुतसी नग्न मूर्तियां हैं जिससे यही समझमें आता है कि यह जैन देवी होनी चाहिये । समुद्रगुप्तके एक शिलालेखमें पृष्टपुरक, महेन्द्रगिरिक, उछारक और स्वामीदत्त नाम हैं। इनमें पहले तीन क्रमसे पिथौरा, महियर और उछहराले लेखोंसे मिलते हैं यह पटेनीदेवी उछहरासे ८ मील है व पिथौरासे पूर्व ४ मील है । इस देवीके चारों तरफ मूर्तियां हैं। ५ ऊपर, ७ दाहनी, ७ वाई व ४ नीचे सर्व २३ हैं। इस देवीकी चार भुजाएं टूट गई हैं, इनके पास नाम भी १०वीं व ११वीं शताब्दीके अक्षरोंमें लिखे हैं। जो मूर्तियां ५ ऊपर हैं। उनपर नाम हैं बहुरूपिणी, चामुराड, पदमावती, विनया और सरस्वती । जो सात वाई तरफ हैं उसके नाम हैं अपराजिता, महामूनसी, अनन्तमती, गंधारी, मानसिनाला, मालनी, मानुजी तथा जो सात दाहनी तरफ हैं उनके नाम हैं जया, अनन्तमती, वैराता, गौरी, काली, महाकाली और वृनंसकला । (नीचेके ४ नाम इस रिपोर्ट में नहीं लिखे हैं ) द्वारपर बाहर तीन मूर्तियां पद्मासन हैं।