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१८] प्राचीन जैन लारक। आलोंमें कुछ बढ़िया मूर्निय विराजित हैं जिनमें एक जैनधर्मकी , है। र तीर्थकर है नीचे एक स्त्री है जिसकी भुजाओंने एक बालक है जिसके नीचे एक लेख है उसने लिखा है कि नानदित्यकी दी नोना नित्य प्रणाम करती है-जबर १२वीं शताब्दीके हैं।
मा नोट-ऐसी मूर्तियं मानभूम जिले विहारमें कई स्थानों में देसी गई हैं। देखो (प्राचीन जन नारक वंगाल, बिहार, उड़ीसा ट्रट ६९) तथा एक मूर्ति गजशाहो (बंगाल) के रेन्द्ररिमर्च इटोटने नननने जिजित है (देखो बंगाल दि. उड़ीसा प्राचीन जन नारकड १३१)
इनिधनाइकी रिर्टन से नीचे हाल विदित हुआ।
(८) शुभार-उसने पश्चिन १२ नोल उंचर वता है। यहां एक प्रलिड वंभ है जो गाड़े नाल का पापाणका है जिनको ठाना पत्थर कहते है इसके नीचे भागमें पुत समयके अमगेंच ९ लाइनका लेख है जिनमें भिन्नर वंशके दो राजाओंक नाम है उनमें से एक उहाके तानपत्रके प्रसिद्ध राजा हस्तिन् हैं और दूसरे कारीतलाईके ताम्रपत्रके राजा जयनायके पुत्र मर्चनाय हैं।
ये दोनों राजा सनकालीन थे-इन गनाओं नाम नीचे लिखे ९ शिलालेखोंने आए हैं।
नं. नाम सना गुत मंदत कहां रखे हैं १ राजा हन्तिन् १९६ वनारस कालेज
१७३ अलाहाबाद म्यूजियम . ३ राजा जयनाय ७४ कनिंघम साहबके पास