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________________ : मध्य प्रान्त।. बहुरीबन्द एक प्राचीन नगर था जिनको कनिंघमने : Tolemy टोलेमीका कहा हुआ-थोलावन Tholahan नाम बताया है। तिवारमें प्राचीनताका चिह्न एक बड़ी नग्न जैन मूर्ति है जिसपर कलचूरी वंशका लेख है। तिगवान एक छोटा नगर बहरीवंदसे २ मील है। इसमें बहुतसे प्राचीन मंदिरके खण्डहर हैं जिनको रेलवे के ठेकेदारोने नष्ट कर दिया है। रूपनायमें अशोकका स्तंम है । यहांक कुछ स्थानोंकाःवर्णन यह है (१):जबलपुर शहर-यहां कुछ जैन मूर्तिये खुरशैदनी कंपनी के नागमें एक मकान में लगा दी गई है। इनकी खुदाई वहुत बढ़िया है । शहरको ४ मील गढ़ी है जो गोंद वंशकी राज्यधानी थी। इनका प्राचीन किला मदनमहल है जो कि टीला है। इसके नीचे मदनमहल नामका वडानगर वसता था । इमको मदनसिंहने सन् ११००में बनवाया था। नागपुर म्यूजियममें एक लेखमें जबलपुरका नाम नवलीपाटन भी आया है। (२) वहरीवंद-तहसील सिहोरा-सलामावाद रेलवेप्टेशनसे पश्चिम १२ मील । यहाँ नगरके पाम एक पीपल वृक्षके नीचे एक बड़ी जैन मूर्ति है जो १० फुट २ इंच उंची है। आसनपर ७ लाइनन लेख है (कनिंघम रिपोर्ट नं० ९ ३९) ३री चौथी लाइन नष्ट होगई है। वह लेख जो पढ़ा या वह यह है-०१-संवत १० xx फाल्गुण बदी ९ सोम अं मत् नवार्णदेव विमय रा ल० २-जो राष्ट्रकूट कुओभन महासमंताधिपति श्रीमद गोहान देवस्य प्रवर्द्धमानस्य ।। ० ३-श्रीमद् गोलप्पथी........मय........
SR No.010443
Book TitlePrachin Jain Smarak Madhyaprant Madhya Bharat Rajuputana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1926
Total Pages185
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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