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मध्य प्रान्त
एक दूसरे वंशका स्थान था जो १६ वीं शताब्दीमें प्रसिद्ध.शा सब एक राना बावाजी वल्लालशाहने देहलीकी मुलाकात ली थी। इस चांदा राज्यमें बरारका भाग मिला हुआ था।
संग्रामशाहके उत्तराधिकारीके राज्यमें मुसलमान उत्तरसे बार । उसकी विधवा रानी दुर्गावतीको मुगल सेनापतिने सन्त्र १९९१ में हराया और मार डाला।
स नोट-इसके पीछे मुसलमान राज्यके इतिहामझी जरूरत मही है। यहां तकका वर्णन इसलिये किया गया है कि जैन मंदि
में जो प्रतिमाएं विराजमान हैं उनके लेखोंका संग्रह होनेसे इनमेंसे बहुतसे रानाभोंकि नाम मिल जानेकी संभावना है जिससे इतिहासपर बहुत प्रभाव पड़ेगा।
पुरातत्व-उत्तरके जिलों में बहुत स्थानों में प्राचीन और नवीर मैन मंदिर हैं जिनमें प्राचीन मंदिर अब लगभग नष्टमायः हो गए हैं । परन्तु उनके छितरे हुए खंड यह बताने हैं कि ये बहुत मुन्दर बने थे। वर्तमान जैन मंदिरोंका समूह कुंडलपुर (दमोह) में बहुत उपयोगी है जिनकी संख्या ५०से अधिक होगी।
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