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राजपूताना।
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(१) नांदिया-पिंडवारासे पश्चिम ५ मील। यहां एक बहुत सुरक्षित जैन मंदिर श्री महावीर स्वामीका ९०० वर्षका पुराना है । वाहरकी भीतमें लेख सन् १०७३का है।
(२) झारोली-ग्राम सिरोहीसे पूर्व १४ मील व पिंडवारासे २ मील । यहां श्री शांतिनाथका जैन मंदिर है जिसके स्तम्भ व मिहराव आबूके विमलशाहके मंदिरसे मुकाबला करते हैं । एक श्री रिपभदेवकी मूर्तिपर सन् ११७९का लेख है प्रतिष्ठाकारक देवचन्द्रसूरि हैं। इस मंदिरमें एक शिलालेख है जिसमें परमार राना धारावर्ष सं० १२५६ है। यह मूलमें श्री महावीर मंदिर था । धारावपकी राना श्रृंगार देवीने कुछ भूमि दान की थी। यह शृंगारदेवी नाडोलके चौहान राना केल्हणदेवकी पुत्री थी।
(1) मीरपुर-सिरोहीसे दक्षिण पश्चिम ९ मील । यहां गोदीनाथके नामसे एक जैन मंदिर १४वीं शताब्दीका है । इसके पास नीन नए मैन मंदिर हैं जिनमें कुछ मूर्तियां पुरानी हैं उनमें तीनपर मं० ११९९ व दोपर १२८९ है। ये दूसरे मंदिरसे लाई गई हैं।
(४) मुंगथल-खराड़ीसे दक्षिण पश्चिम ५ मील । यहां १५ वीं शताब्दीका जैन मंदिर है । जो श्री महावीर स्वामीका है, खंभोंपर लेख है। सबसे पुराना है सं० १२१६ वैसाख वदी ९ सोमे, यह कहता है कि वीसलने जासावाहुदेवीकी स्मृति में .एक स्तंभ वनवाया। दो और लेख हैं-१ सं१ १४२६ वैसाख सुदी ८ रचौ श्रीपाल पोड़वाड़ने कुछ जीर्णोद्धार किया। दूसरा कहता है कि नन्नाचार्यकी संतानमें कक्कसरिके पट्टमें सत्यदेवसूरिने मूर्ति