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________________ १६८ ] प्राचीन जैन सारक। १६०६२ वर्गमील जगह है जिसमें एक बड़ा भारतीय रेतीला जंगल है। इसका राजा कृष्णवंशी यदुवंशी है, सालिवाहनका पोता भाटी जादों बहुत वीर था व प्रसिद्ध हुआ है। जैसवाल रावलने जैसलमेर सन् ११५६में बसाया था। यहां विरसिलपुरका किला दूसरी शताब्दीका व तनातका किला (वीं शताव्दीका है। (१) जैसलमेर नगर-वार्मेर स्टेशनसे ९० मील है। यहां २३२ जैनी हैं। पहाड़ीपर किला है, किलेके भीतर जैन मंदिर हैं, जो बहुत सुन्दर हैं व इनमें अच्छी खुदाई में, इनमें कई मंदिर १४०० वर्षके पुराने हैं। श्री पार्श्वनाथजीका मंदिर बहुत ही बढ़िया है जिसको जैसिंह चोलाशाहने सन १३३२में बनवाया था। यहां प्राचीन जैन शास्त्रोंके भंडार हैं जिनकी अच्छी तरह खोज नहीं की गई है। (२) लोडरवा-जैसलमेरसे १० मील । यहां एक जैन मंदिर श्री पार्श्वनाथजीका १००० वर्ष के करीब प्राचीन है। . (६) सिरोही राज्य। इसकी चौहद्दी इस प्रकार है-उत्तर पश्चिम जोधपुर; दक्षिणमें पालनपुर, दांता, ईडर; पूर्वमें उदयपुर, आबू पहाड़ व चंद्रावतीका प्राचीन नगर । यहां १९६४ वर्गमील स्थान है। पिंडवाराके पास वसन्तगह नामका पुराना किला है इसमें राजा चर्मलाटका लेख सन् ६२५ का है । इस राज्यमें ११ सैकड़ा जेनी हैं कुल संख्या १७२२६ (१९०१ के अनुसार ) है।
SR No.010443
Book TitlePrachin Jain Smarak Madhyaprant Madhya Bharat Rajuputana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1926
Total Pages185
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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