SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 170
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १७० ] प्राचीन जैन स्मारक । स्थापित की । आबूके मंदिरके लेख नं० २ में इस स्थानको मंदस्थल लिखा हैं । (५) पतनारायण - मुंगथलसे उत्तर पश्चिम ६ मील | यहां पतनारायणका गिरवार मंदिर है जिसमें द्वार पुराना है जो जैन मंदिर लाया गया है । (६) ओर - कीवरली प्टे० से ४ मील दक्षिण व खराड़ीसे उत्तर पूर्व ३ मील । इसका प्राचीन नाम ओद ग्राम है । यहां श्री पार्श्वनाथका जैन मंदिर है । लेख संवत् १२४२ है उसीमें नाम ओद ग्राम है व महावीर स्वामी मंदिर लिखा है। यहां विडलाजी मंदिरके द्वारपर जैन मूर्ति है । यह द्वार जैन मंदिरका है जो चंद्रावतीसे लाया गया । (७) नीतोरा - राहड़े प्टे० से उत्तर पश्चिम ४ मील है । यहां श्री पार्श्वनाथका जैन मंदिर है । एक प्रतिमा संगमर्मरकी हैं जिसके आसनपर चक्रका चिह्न है । इस प्रतिमाको बाबाजी कहते हैं। यहां क्षेत्रपालकी मूर्तिके ऊपर एक बैठे आसन मूर्ति है इसपर लेख है सं० १४९१ वैसाख सुदी २ गुरु दिने यक्ष बाबा मूर्ति । (८) कोजरा - नीतोरासे उत्तरपूर्व १० मील । यहां १२वीं शताब्दीका संभवनाथजीका जैन मंदिर है । खंभेपर लेख है । सं० १२२४ श्रावण वदी ४ सोमे श्री पार्श्वनाथदेव चैत राणाराव । यह मूलमें श्री पार्श्वनाथ मंदिर था । 6 (९) वामनवारजी - कोजरासे १० मील व पिंडवारा प्टे० से मील | यहां मुख्य मंदिर श्री महावीरजीका १४वीं या १९वीं शताब्दीका है जिसको वामनवारजी कहते हैं। एक छोटे मंदिरपर
SR No.010443
Book TitlePrachin Jain Smarak Madhyaprant Madhya Bharat Rajuputana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1926
Total Pages185
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy