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________________ १५८ ] प्राचीन जैन स्मारक । कई शिलालेख हैं जिनमें सबसे पुराना सन् १९६२ का है. इसमें सोनिगरा या चौहान वंशके १९ राजाओंके नाम व घटनाएं हैं । यह पहाड़ी ३२८२ फुट ऊंची है । यहीं रतनपुर ग्राम में श्री पार्श्वनाथजीका जैन मंदिर सन् १९७९ का है इसमें दो लेख सन् १९९१ और १२९१ सन्के हैं । (१४) घटियाला - जि० हुकुमत | जोधपुरसे उत्तर पश्चिम १८ मील | यह पुराना ग्राम है। यहां ध्वंश जैन मंदिर है जिसको माताजीकी साल कहते हैं। एक पाषाण पर प्राकृत भाषाका लेख है उससे विदित हैं कि मछोदर (मान्दोर) के परिहार या प्रतिहार वंश के राजा कुक्कुकने सन् ८६१ में बनवाया था। इस वंशके राजा कन्नौज या महोदय के प्रतिहार वंशी राजाओंके आधीन नाड़वाड़में राज्य करते थे । (१५) ओसियान या ओसिया या उकेसा - जोधपुरसे उत्तर ३० मील यह ओसवाल महाजनोंका मूल स्थान है । यहां एक जैन मंदिर है जिसमें एक विशाल मूर्ति श्री महावीर स्वामीकी है। यह मंदिर मूलमें सन् ७८३ के करीव परिहार राजा वत्सराजके समयनें बनाया गया था। इसके उत्तर पूर्व मानस्तंभ है जिसमें सन् ८९९ है । सन् १९०७ की पश्चिम भारतकी प्राग्रेस रिपोर्टसे विदित है कि यह तेवरीसे उत्तर ११ मील है | इसका पूर्वनाम नेलपुर पट्टन था । ऊपर कहे हुए प्राचीन मंदिर को लेकर यहां १२ नंदिर हैं । हेमाचायेके शिष्य रत्नप्रभाचार्यने यहां के राजा और प्रजा सबको जेनी बना लिया था ऐना ही ओसवाल लोग व हैं। 1
SR No.010443
Book TitlePrachin Jain Smarak Madhyaprant Madhya Bharat Rajuputana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1926
Total Pages185
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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