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राजपूताना ।
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हार्य सहित अंकित हैं । इसकी एक बगलमें एक खड़गासन दि० जैन मूर्ति हैं, दूसरी बगलमें १ खडगासन १ हाथ ऊंची है। ऊपर पद्मासन हैं ।
आगे जाकर सप्तवीसदेवरीके नामका बड़ा जैन मंदिर है, द्वार पर पद्मासन छोटी मूर्ति है, छतपर कमल आबूजीके मंदिरके अनुसार हैं। भीतर दूसरे द्वारपर पद्मासन मूर्ति फिर वेदीके द्वारपर पद्मासन वेदी खाली है । छतपर कमेल व देवी आदि हैं । यह तीन चौकेका मंदिर है। इसके १ बगलमें दूसरा जैन मंदिर है, द्वार पर पद्मासन भीतर द्वार पर पद्मासन पास में खड़गासन मूर्ति है । दूसरी बगल में जैन मंदिर द्वारपर पद्मासन । पीछे १ मंदिर शिखर में खड़गासन व पद्मासन व द्वारपर पद्मासन | यह मंदिर श्वेताम्बरी मालूम होता है । पासमें दूसरा खे० जैन मंदिर द्वारपर पद्मासन, वेदीके I द्वारपर पद्मासन । आगे चलकर श्रीकृष्ण राधिकाका मीराबाईका मंदिर है, जैन मंदिर के पाषाण खंड लगे हैं उनमें पद्मासन जैन मूर्ति है ।
आगे जाकर जो जयस्तम्भ राजा कुंभका है उसके भीतर ऊपर जानेको मार्ग है जिसमें ११३ सीढ़ी हैं भीतर सब तरफ अन्य देवोंकी मूर्तियां कोरी हुई हैं । ९ खन हैं, दो शिलालेख हैं। आगे जाकर जो प्रसिद्ध जैन कीर्तिस्तंभ या मानस्तंभ आता है यह सात खनका है, चारों तरफ खड़गासन और पद्मासन दि० जैन मूर्तियां अंकित हैं । भीतर चढ़नेको ६७ सीढ़ी हैं। ऊपर छत तोरण द्वार सहित है । हरएक तोरणमें पांच पांच खड़गासन दोनों तरफ ऐसे चार तरफ चार तोरण हैं। छतके कोनेमें चार मूर्ति हैं। इस मानस्तंभमें पाषाणकी कारीगरी देखने योग्य है । 'यह दि० जैनोंका मुख्य