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प्राचीन जैन स्मारक ।
सरोवरोंके शेषांश हैं । यह कहावत है कि इसको परमालदेव या परमाददेव चंदेल राजा ( ११६५ - १२०३ ) के मंत्री बच्छराजने बसाया था । यहां भितारिया ताल प्रसिद्ध है । सन् १३७६ का शिलालेख मिला है जिसमें नगरको बच्छुम लिखा है । (२) नाचना यह गंजसे २ मील | प्राचीन नाम कुथारा है । यह १३वीं शताव्दीमें सोहालपालके राज्यमें प्रसिद्ध था। यहां गुप्त समयके दो ध्वंश पुराने हिन्दू मंदिर हैं ।
(१) अजयगढ - नगर व गढ़-जिस पर्वतपर यह किला है उसको केदार पर्वत कहते हैं। यह १७४४ फुट ऊँचा है। शिलालेखमें नाम जयपुर दुर्ग है । यह किला नौमी शताब्दी के अनुमान बना था । बहुत प्राचीन जैन मंदिरोंकी सुन्दर शिल्प कारीगरी मुसल्मानोंके बनाए मकानोंकी भीतोंपर दिखलाई पड़ती है । पर्वतपर बहुतसे सरोवर हैं। तीन जैन मंदिरोंके ध्वंश अभी तक खड़े हैं। इनकी रचना १२ वीं शताब्दीकीसी है और खजराहाके मंदिरोंसे मिलते जुलते हैं । पाषाणोंपर बहुत बढ़िया खुदाई है । ये मंदिर किसी समय बहुत ही सुन्दर होंगे । अनगिनती खंडित मूर्तियें, 'खम्भे, आसन पड़े हुए हैं। यहांके मकानोंमें सन् १९४१ से १३१५ तक चंदेल राजाओंके कई लेख मिले हैं।
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(Cunningham A. S. R Vol. VII P. 45 and XXI P. 46 ),
( २० ) छत्तरपुर
राज्य ।
इसकी चौहद्दी यह है - उत्तरमें हमीरपुर । प्रयेनें केननदी, पन्नाव; पश्चिममें बीजावर और चखानी । दक्षिण में विजावर और पन्ना दमोह | इसमें १९१८ वर्गमील स्थान है । इसको १८वीं शतः
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