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________________ M १०४ ] प्राचीन जैन स्मारक | (१) विहार - प्राचीन नाम भद्रावती - पर्ग० नरसिंहगढ़ - यहांसे दक्षिण ७ मील | यह जैनधर्मका एक समय मुख्य केन्द्र था । वर्तमान ग्रामके ऊपर जो पहाड़ी है उसपर बहुतसे जैन स्मारक मिलने हैं. उन्होंने एक विशाल जैन मूर्ति है जो गुफाके पाषाणमें टी हुई है | यह ८॥ फुट ऊँची है, मस्तक नहीं रहा है । आसनपर वृषभक्का चिन्ह हैं इससे यह श्री आदिनाथजीकी है । पर्वतपर गुफाके पास एक शतखम्भा महल है यह १९ खन ऊँचा है । इसको संवत १३०४ में करणशनने बनवाया था । C (४) छपेरा - प० छपेरा - नरसिंह से पश्चिम ४६ मील | यहां श्री पार्श्वनाथजीका जैन मंदिर है जिसमें चार मूर्तिये हैं। उनमेंसे तीन में संवत १९४८ व एकमें संवत १७९७ है । (३) पाचोर - प० पाचोर । नरसिंह से पश्चिम २४ मील आगरा बम्बई सड़कपर | इसका प्राचीन नाम पारानगर है । यह बहुत प्राचीन जगह है, क्योंकि जब यहां खुदाई की जाती है तब खंडित जैन मूर्तियोंके शेष मिलते हैं । (१०) जावरा राज्य । यहां मन्दसोरसे थारोढ़ जाते हुए बाईखेड़ा ग्राम है, इसमें एक नव्यकालीन श्री पार्श्वनाथजीका जैन मंदिर है । इसमें १२ स्तम्भ हैं। मव्यमें पद्मासन जैन मृर्ति है । लेख १२वीं शताब्दीका है । द्वारपर श्रीमाल जातिके शामदेव वणिकका नाम है ।
SR No.010443
Book TitlePrachin Jain Smarak Madhyaprant Madhya Bharat Rajuputana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1926
Total Pages185
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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