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________________ १०२ ] प्राचीन जैन स्मारक। होता था। ऐसी तनजेवको व्यापारी लोग बाहर नहीं भेज सके थे किंतु सब तनजेब बादशाह मुगल और उनके दरवारियोंके वास्ते भेजी जाती थी । अब यह सब शिल्प नष्ट होगया है। (६) देवास राज्य (मालवा एजन्सी) मालवा एजन्सीमें ८८२८ वर्गमील स्थान है। हद्द है-उत्तर और पश्चिम राजपूताना, दक्षिणमें भोपावर और इंदौर, पूर्व में भोपाल। इसमें ४४ राज्य शामिल हैं। देवासका वर्णन यह है पुरातत्त्व-सारंगपुरमें है व देवाससे दक्षिण ३ मील नागदा ग्राममें है। यह पहले राज्यधानी रहाहै। यहां बहुतसे जैन मूर्तियों के ' और हिंदू मंदिरोंके अवशेष हैं। . (१) सारंगपुर-कालीसिंध नदीके पूर्वीय तटपर मकसी टेशनसे ३० मील व इन्दौरसे ७४ मील। यह बहुत प्राचीन स्थान है। यहां उज्जैनके घोड़ा चिन्हके पुराने सिक्के सन् ई० से १००० से ५०० वर्ष पूर्वके पानीमें वहते हुए मिले हैं। बहुतसे जैन और हिन्दू मंदिरोंके खण्ड भीतोंमें लगे हैं। यह सुन्दर तनजेवोंके लिये प्रसिद्ध था । यहां पहले एक किला हिन्दू और जैन खण्डहरोंसे बनाया गया था। ये बँडहर इन्दौरके सुन्दी पर्गनेके तुङ्गजपुरसे लाए गए थे। अब दीवाल व द्वार शेष है उसपर एक लेख जीर्णोद्वारका सन् १९७८ का है। ___ .बहुतसे जैन प्राचीन स्मारक हैं जिनमें एक तीर्थकरकी मूर्तिपर सं० ११७८ है। एक जैन मंदिरके भीतर संवत १३१९ की मूर्ति है।
SR No.010443
Book TitlePrachin Jain Smarak Madhyaprant Madhya Bharat Rajuputana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1926
Total Pages185
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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