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________________ मध्य भारत। [ (३) भोपाल एजन्सी-भोपाल राज्य। इसकी चौहद्दी इस प्रकार है-दक्षिण पूर्व मध्य प्रांत, उत्तरमें राजपूताना और ग्वालियर, पश्चिममें कालीसिंध | यहां ११६९३ वर्ग मील स्थान है। भोपाल राज्य में ६९०२ वर्ग मील है। पुरातत्व यहां सांचीमें स्तुप सुन्दर है। यहां भोजपुरमें एक सुन्दर जैन मंदिर है । एक बड़ी मूर्ति महिलपुरमें है, चारों तरफ मंदिर है। इसमें खुदाई सुन्दर है। समसगढ़में-जो भोपालमे १० मील है-खडित मंदिर हैं वहां तीन बड़ी मूर्तियं अभी भी खड़ी हुई हैं। नरवर ग्राम सांचरके मंदिरोंके मसालेसे बना है । जामगढमें एक १२वीं शताब्दीका मंदिर है। यहांक मुग्यस्थान नीचे प्रकार हैं मुख्य स्थान । (१) भोजपुर-तहसील ताल-यहां एक बड़ा शिव मंदिर है उसमें ४० फुट ऊंचे चार खंभे हैं। इसके पास एक जैन मंदिर १४ से ११ फुट है जिसमें तीन जैन तीर्थकरकी मूर्तियां हैं उनमेंसे एक बहुत बड़ी मूर्ति श्री महावीरस्वामीकी २० फुट ऊंची है दूसरी दो श्री पार्श्वनाथजीकी हैं । यह मंदिर १२वीं या १३वीं शताब्दीका होगा। भोजपुरके पश्चिम एक बड़ी झील है जिसको धारके राजा भोजने (१०१०-५३), शायद बनवाया है । (R. A. S. TOE. TIII. I'. So ard Indian antiquary Vol. XVIII P. 348).
SR No.010443
Book TitlePrachin Jain Smarak Madhyaprant Madhya Bharat Rajuputana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1926
Total Pages185
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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