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मध्य भारत।.
लीन भारतीय शिल्पकलाके सुन्दर नमूने हैं, यद्यपिग्वालेश्वरके मंदिरका नकशा चौवारा देहरा नं० २ से बहुत बढ़िया है। ये दोनों ही मंदिर खड़गांवसे उन जानेवाली सड़कपर हैं । इस चौवारा देरा नं० २ के गर्भग्रहमें तीन दिगम्बर जैन मूर्तियां एक. आसनपर खड़ी हैं। इनमेंसे एक पर विक्रम सं० १३ मालूम. होता है । ग्वालेश्वर मंदिरके गर्भग्रहमें एक पहाड़ीपर तीन बड़ी दिगम्बर जैन मूर्तियां एक आसनपर हैं। प्रछाल करनेको मस्तक. तक पहुंचनेके लिये सीढ़ी बनी हैं जैसे खनराहामें श्री ऋषभदेवके. मंदिरमें हैं। चौवारा देरा नं० १ और खड़गांव उन सड़कके. मध्यमें और भी मंदिर हैं (A. S. R. 1918-19 P. 17 ), चौवारा देहरामें एक बड़ी मूर्तिपर वि० सं० १९८२ है । जैनाचार्य रत्नकीर्ति हैं। ग्वालेश्वर मंदिरमें एक दि० जैन मूर्ति १२॥ फुट ऊंची है । कुछ मूर्तियोंपर सं० १२६३ है।
(४) विजवार या विजावड-पर्गना कटाफोर जिला नीमाड। इंदौरसे पूर्व ४९ मील व नीमावरसे पश्चिम ३३ मील । यहां कई जैन मंदिरोंके खण्डहर हैं। वंदेर पेखान नामकी पहाड़ीपर बहुतसी जैन मूर्तियां स्थापित हैं । इन मंदिरोंके सुन्दर खुदाईके पाषाणोंको महादेवके मंदिरके बनानेमें काममें लाया जारहा है। ग्रामके उत्तर १०वीं या ११वीं शताब्दीके बहुत बड़े जैन मंदिरके शेष हैं । इन ध्वंशोंमें तीन बड़ी दिगम्बर जैन मूर्तियां हैं (१) ५ फुट ३ इंच ऊँची (२) ६ फुट ३ इंच ऊंची, नासिका और भुना नहीं है (३) ८ फुट ३ इंच ऊंची २ फुट १० इंच आसनपर चौड़ी,. हाथ नहीं हैं । यह शांतिनाथजीकी मूर्ति है । आसनके लेखमें