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________________ ८६.] प्राचीन जैन स्मारक। (२४) मउ-परगना महगांव जि. भिंड-महगांवसे १६ मील । यहां श्री पार्श्वनाथजीके नामसे कुंआरमासमें एक बड़ा जैन धार्मिक मेला हुआ करता है। (२५) पानविहार-पर्गना उन्जेन-यहांसे उत्तर ८ मील । यहां ग्राममें पुराने जैनमंदिरोके ध्वंश हैं। बहुतसे 'खुदे हुए पत्थर जो पहले जैन मंदिरोंमें लगे थे बहुतसे मकानोंकी भीतोंपर लगे देखे जाते हैं। (२६) राजापुर या मायापुर-पर्गना पिछार जि० नरवर। महुअर नदी पर ग्रामके उत्तरपूर्व करीब १ मीलपर एक पाषाणका बौद्धस्तूप है जो ४९॥ फुट लम्बा है । इसको कोठिलामठ कहते हैं । यह दर्शनीय है। (२७) सुहानियां (सोनियां या सिहोनिया) पर्गना गोहड़ निला तोंवरघार । यह बहुत ही प्राचीन ऐतिहासिक ग्राम है। लश्करसे पूर्व ३८ मील कटवरसे उत्तर पूर्व १४ मील है। असनी नदीके वाएं तटपर है। इसको ग्वालियरके संस्थापक सूरजसेनके बुजुर्गोंने स्थापित किया था। कनिंघम साहबने यहां शिलालेख वि. सं. १०१३, १०३४ व १४६७ के पाए हैं। ग्रामके पश्चिम एक स्तम्भ हैं जिसको भीमकीलाट कहते हैं दक्षिणकी ओर कई दिगम्बर जैन मूर्तियां हैं । इस नगरको कन्नौनके विजयचंदने सन् ११७०में ले लिया था। यहां किलेके दक्षिण आध मील पर एक बडी जैन मूर्ति १५ फुट ऊंची है । जिसपर सं० १४६७ है। इसके पास दो जैन मूर्तियें छः छः फुट ऊंची हैं। सर्व ही नग्न कायोत्सर्ग हैं। श्रावक लोग पूजते हैं। -
SR No.010443
Book TitlePrachin Jain Smarak Madhyaprant Madhya Bharat Rajuputana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1926
Total Pages185
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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