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________________ मध्य भारत। [८७ . (२८) मुन्दरसी--पर्गना सोनकच्छ जि० शोजापुर । शोजापुरसे पश्चिम ११ मील । यहां सन् १०३२ में राजा सुदर्शन राज्य करते थे । एक जैन मंदिर है जिसमें लेख सं० १२२१का है। (२९) सुसनेर-पर्गना सुसनेर नि० शोजापुर-शोजापुरसे उत्तर ३६ मील । यहां प्राचीन जैन मंदिर है। (३०) तेरही-पर्गना व जि० ईसागढ़ | नरोदसे दक्षिण पूर्व ८ मील । यहां बढ़िया पुरातत्व है। दो प्राचीन मंदिर हैं। एकमें बढ़िया खुदाई है। यहां दो खम्भे पड़े हैं उनपर भी लेख हैं। एकमें यह कथन है कि यहां मधुवेनी नदी (जो अब महुअर कहलाती है) हैं । एक युद्ध महा सामंताधिपति उंदभट्ट और गुणराजके मध्यमें हुआ था जिसमें प्रसिद्ध वीर चांडियाना भाद्र वदी ४ सं० ९६० शनिबारको मारा गया था । यह लेख बहुत उपयोगी है क्योंकि उदंभट्टका नाम ९६४ संवतके सय्यादरीके लेखमें आता है। यह कन्नोजके राजाके आधीन था । । (३१) उनचोड-पर्गना सोनकच्छ-यहांसे दक्षिण पूर्व २८ मील एक पापाण भीत है। एक द्वार जैन मंदिरोंके ध्वंशोंसे बनाया गया है। ' (३२) उन्दास-पर्गना उज्जैन-इसको जबरावाद, कहते हैं । यह उज्जैनसे पूर्व ४ मील है। यहां एक बड़ा सरोवर है जिसको । रत्नागरसागर कहते हैं। उसका तट जैन मंदिरोंके अंशोंसे बनाया गया है। (३३) सारंगपुर-भिलसासे पश्चिम ८० मील व आगरसे पूर्व दक्षिण ३४ मील । यहां सन् ई० से १०० से ५०० वर्ष पूर्वके पुराने सिक्के पाए जाते हैं ।
SR No.010443
Book TitlePrachin Jain Smarak Madhyaprant Madhya Bharat Rajuputana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1926
Total Pages185
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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