SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 84
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७५ . प्राचीन जैन इतिहास । (१०) श्रेयांस-हस्तिनागपुर के महा मडलेश्वर राजा सोमप्रमके भाई कुरूवशी थे । भगवानको सबसे पहिले आहार देकर इसयुगमें मुनियोंके आहाग्दानकी प्रवृत्ति चलाने वाले हुए। • (११) अनंतवीर्य-भगवान् ऋषभदेवके पुत्र-भरतके छटे भाई इस युगमें सबसे पहिले मोक्ष गये । (१२) श्रुतकिर्ति-इम युगमें सबसे पहिले श्रावकके व्रत • लेने वाले गृहस्थ । (१३) प्रियवता-इस युगमें सबसे पहिले श्रावकके व्रत लेने वाली स्त्री। (१४) श्रुतार्थ, १ सिद्धार्थ २ सर्वार्थ ३ सुमति ४ ये चारों महामंडलेश्वर काशीनरेश अकपनके मंत्री थे। (१५) हमांगदत्त-महामडलेश्वर काशी नरेश अकंपनका ज्येष्ठ पुत्र था। , (१६) अकीति-महाराज भरत चक्रनिके राज्यका स्वामी उनका ज्येष्ठ पुत्र था। राजा अपनका जमाई था। स्वयंवरमै सुखोचनाने जो जयकुमारको वरमाला पहिनाई थी उसीपरसे इसने अन्याय पूर्वक जयकुमारसे युद्ध किया जिसमें यह हारा था। (१७) अनवद्यमति-ऋषभदेवके ज्येष्ठ पुत्र अर्ककीर्तिका मंत्री था। इसने जयकुमारसे कड़ने के लिये अकीर्तिको बहुत रोका पर वह नहीं माना। (१८) महापल-बाहूबलीका ज्येष्ठ पुत्र था।
SR No.010440
Book TitlePrachin Jain Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurajmal Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages143
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy