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चौथा अध्याय।
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पुरके राजा अमिततेज हमारे स्वामी हैं । मै उनके साथ-साथ शिखरतल उद्यान में क्रीड़ा करनेके लिए गया था। वहॉसे लौट कर आकाश-मार्गसे जाते हुए मैने एक वडा भारी विमान जाते देखा और यह आर्तवाणी सुनी कि मेरा स्वामी जयी श्रीविजय नरेश कहाँ है ! हे रथनूपुरके स्वामी अमिततेज! तुम मेरी रक्षा करो। यहाँ आकर अपना प्रभाव दिखाओ । यह सुन मैं उस विमानके पास गया और उसमें बैठे हुए व्यक्तिको नमस्कार कर मैंने पूछा कि तुम कौन हो और यह कौन है जिसे तुम बलात् लिये जाते हो । यह सुन अशनिघोप क्रुद्ध हो वोला कि मेरा नाम अशनिघोष है, मैं विद्याधर हूँ और चमरचंच पुरका राजा हूँ । यह सुतारा है
और इसे मैं जबरदस्ती हरे लिये जाता हूँ । यदि तुममें शक्ति हो तो तुम दोनों इसे छुड़ानेका प्रयत्न करो । सुन कर मैंने सोचा कि यह मेरे स्वामीकी बहिन है
और इसे यह हरे लिये जाता है । ऐसे समय मेरा चुप रहना ठीक नहीं है । इसे मार कर मै इसकी रक्षा अवश्य करूँगा। इतना सोच कर मैं युद्धको तैयार हो गया। मुझे युद्धके लिए उद्यत देख सुतारा वोली कि तुम युद्ध मत छेड़ो; किन्तु ज्योतिवनमें पोदनापुर-नायक मेरे पति श्रीविजय हैं, उनके पास जाकर उनसे मेरा सब हाल कह दो । अतः मै सुताराका भेजा हुआ यहाँ आपके पास आया हूँ। और जो यहाँ सुतारा बैठी थी वह सुतारा न थी; किन्तु अशनिघोपकी सिखाई हुई वैताली विद्या उसके रूपमें थी । इसी लिए वह मेरी ताड़नासे भाग गई है। यह सुन राजाने उस विद्याधरसे कहा कि कृपा कर तुम पोदनापुर जाकर वहाँ मेरी माता, छोटे भाई और बन्धुओंसे यह सब समाचार कह दो । राजाके कहनेसे विद्याधरने उसी समय अपने पुत्र द्वीपशिखको जो उसीके साथ था, शीघ्र ही पोदनापुर भेज दिया। उधर पोदनापुरमें भी इस समय बड़े उपद्रव हो रहे थे। उनको देख कर वहाँ अमोघनित और जयगुप्त नामक निमित्तज्ञानियोंसे पूछा गया कि इन उपद्रवोंका क्या फल है ? उन्होंने कहा कि श्रीविजय नरेश पर कोई आपत्ति आई थी; परंतु वह अब कुछ दूर हो गई है तथा अभी थोड़ी देरमें ही कोई उनकी कुशल-वार्ता लेकर यहॉ आयेगा। तुम स्वस्थ हो, भय मत करो। निमित्वज्ञानीके इन वचनोंको सुन कर स्वयंप्रभा आदि सब सन्तुष्ट होकर पहिलेकी भाँति ही अपने काम-काज करने लगे । इतनेमें ही आकाशसे द्वीपशिख पृथ्वीतल पर आया और उसने स्वयंप्रभाको प्रणाम कर उससे विजयनरेशकी सब कथा कह कर कहा कि श्रीविजय नरेश कुशल हैं; आप लोग किसी प्रकारकी चिन्ता न करें। इसके बाद द्वीपशिखने सुताराके हरे जाने आदिका सव हाल