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पाण्डव-पुराण
उधर वे सब पहलेकी भाँति ही समुद्रको पार कर उसके इस तट पर आ गये । वहाँ आकर कृष्णने पाडवोंसे कहा कि आप चलिए और जब तक मैं स्वस्तिक देवको विसर्जन करके आता हूँ तब तक यमुनाकों पार कर मेरे लिए नौका पीछी भेजिए । कृष्णकी आज्ञा पाकर पांडव द्रोपदी - सहित यमुना पार कर उसके दाहिने किनारे जा बैठे । वहाँ यमुनाको पार करते समय कृष्णका बाहुबल देखनेकी इच्छासे भीमने यह धूर्तता की कि नौकाको उठा कर एक किनारे रख दिया । इसी समय देवताको विदा करके कृष्ण आ गये और यमुनाके जलको अथाह देख कर उन्होंने पांडवों से कहा कि आप लोगोंने इतनी जल्दी यमुना कैसे पार कर ली । सुन कर पांडवोंने यह छलभरा उत्तर दिया कि हमने जो यमुनाको पार किया है वह बाहुदंडों द्वारा पार किया है । यह सुन कृष्णने उसी क्षण कूद कर हाथोंसे ही यमुना पार करना शुरू किया और वे बहुत जल्दी उसके पार पहुँच गये । वहाँ जाकर कृष्णने पांडवोंको देख कर बड़ा हर्ष प्रगट किया । इस समय कृष्णको देख कर पांडव खूब ही खिलखिला कर हँस पड़े । उन्हें हँसते देख कर कृष्णने पूछा कि आप लोग इतना क्यों हँस रहे हैं । मुझे इसका भेद बताइए | सुन कर पांडवोंने कहा कि हम सब तो यमुनाको नौकाके द्वारा ही पार कर यहाँ आये — लेकिन तुम्हारा बाहुबल देखनेकी इच्छासे हमने वह नौका छुपा दी थी । महाराज, आपने हमारे साथ जैसा अघटित कार्य किया वैसा कोई नहीं कर सकता । अतः हम कहे बिना नहीं रह सकते कि आप वैरी रूपी हाथियोंके कुंभ - स्थलोंको विदारनेके लिए हरि - हरि ( सिंह ) हो, यह बिल्कुल ठीक है । पांडवोंकी ऐसी छळभरी बातें सुन कर कृष्णने दिखाऊ क्रोध से हसते हुए कहा कि सचमुच तुम लोग बड़े छली हो, स्वजनके स्नेह-रहित और मायाके पुतले हो और सदा ही दुष्टता किया करते हो । अच्छा, बताओ कि नदीको तैरते समय तुमने हमारा कौनसा माहात्म्य देखा, जिसे कि तुमने गोवर्धन उठाने के समय, कालिन्दी नागके मर्दन के समय, चाणूर मल्लको चकनाचूर करते वक्त, कंस घात के समय, अपराजितके नाशके वक्त, गौतम अमर के संस्तवके समय, रुक्मिणी हरणके समय, शिशुपाल वध के समय, जरासंध वधके समय, चक्ररत्नकी प्राप्तिके समय और तीन खंडके परम ऐश्वर्य के समय नहीं देख पाया था । नदी तैरते समय किसीका वल देखने में कौनसा महत्त्व है - यह तो बहुत ही छोटा काम है । बात यह है कि तुम लोग
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