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पाण्डव-पुराण। इस अध्यायमें यह बात कही गई कि पांडव सोरी पृथ्वी पर घूम कर गुप्त वेष नाना भटोंसे परिपूर्ण विराट नगरमें आये । वहाँ उन्होंने दुर्जेय कौरवोंको युद्धमें पराजित किया और जन-समूहको आनंद देनेवाले गो-कुलकी उनसे रक्षा . कर पुण्य-योगसे वे 'जयी हुए।
और ठीक ही है कि 'धर्मसे ही वैरी नष्ट होते हैं, वन्धुओंका समागम होता है, सुन्दर शरीर मिलता है, मनको मुग्ध करनेवाली सुंदर स्त्रियाँ और सुख मिलता है, कोमल शरीर और कला-विज्ञान प्राप्त होते हैं, पुत्र पौत्र आदि सम्पत्ति प्राप्त होती है । और बढ़ा कर कहाँ तक कहें जीवोंकी मोक्ष लक्ष्मीसे भेंट भी यही धर्म कराता है । इस लिए समझदार लोगोंको सदा धर्मका सेवन करते रहना चाहिए।