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________________ २९० पाण्डव-पुराण । जो भी तुम उपाय करो। कारण कि वे बड़े भारी पराक्रमी हैं, मेरु जैसे अचल हैं, दीप्तिके धारक तेजस्वी है, मोक्ष-गामी है, सर्वश्रेष्ठ महापुरुष हैं। एक मुनीश्वरने मेरे सामने ही कहा था कि युधिष्ठिर राज्यभोगी बनेगा और पीछे तप तप कर ' शश्रृंजय पहाड़ परसे मोक्ष जायगा । मुझे विश्वास है कि वे अपने गुणों द्वारा पूज्य और पूज्योंकी पूजामें तत्पर रहनेवाले गुणोंके भंडार अब तक जीते हैं; मरे नहीं हैं। वे पांडव तुम्हारा कल्याण करें, जिन्होंने सम्पूर्ण विघ्न-बाधाओंको नष्ट कर स्थान स्थान पर प्रतिष्ठा पाई, जो बड़े बड़े शिष्ट पुरुषों द्वारा पूजित हुए, जिनकी सभी चेष्टायें परोपकारके लिए ही हुई, जो उत्तम पुरुषोंके अंग्रगण्य हुए, जिनको कोई भी कष्ट नहीं दे सका और जो स्पष्ट मिष्ट भाषी हुए। उस पांचाली-द्रोपदी के शीलधर्मकी जय हो जो परम पवित्र और मिष्ट-भाषिणी हुई, शीलकी प्रवर्तक हुई, लावण्यामृतकी बावड़ी हुई, उत्तम गुण, गंभीरता और धीरजकी खान हुई और जिसके शीलके प्रभावसे महापापी कीचक काल के गालमें गया और लोकहास्यका पात्र बना ।
SR No.010433
Book TitlePandav Purana athwa Jain Mahabharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhanshyamdas Nyayatirth
PublisherJain Sahitya Prakashak Samiti
Publication Year
Total Pages405
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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