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पाण्डव-पुराण।
naran in an ar.m on man. . . सच्चा व्रत है तब तुम्हें इन बातोंकी तो परवाह नहीं है कि कोई तुम्हारी भलाई करें या न करे। तब तुम परोपकार दृष्टिसे ही ऐसा काम करो जिससे कि इसका प्यारा पुत्र जीता रह जाय-इसकी आँखोंके सामने बना रहे । और पेटा, भीम, आगेके लिए कोई ऐसा उपाय कर दो जिससे यह मनुष्य जो कि हमेशा मनुष्यों को खाया करता है और महान् निर्दय है, नरभक्षणसे रुक जाय । आगे ऐसा दुष्कृत्य न करे; जिससे लोगोंमें बड़ी भारी खलबली मच रही है । कुन्तीके वचनोंको सुन कर कर्मवीर भीमने कहा कि माता, भला आप यह क्या कहती हो, मैं तो तुम्हारा आज्ञाकारी हूँ। तुम्हारी आज्ञा-पालनेके लिए आज ही उस मनुष्यराक्षसके पास जानेको तैयार हूँ । इस प्रकार अति प्रवीण और न्यायके जानकार माता-पुत्र इस प्रकार परोपकारकी बातें कर ही रहे कि इतनेमें उस वैश्य-पुत्रको ले जानेके लिए कोतवालने आकर उससे कहा कि वैश्यवर, उस
मनुष्य-राक्षसकी वलिके लिए गाड़ीमें सवार होकर अति शीघ्र मेरे साथ चलो; • देर न करो। और जरा देरके जीवनके लिए देर करनेसे भी क्या होगा।
कोतवालका बात सुन कर उससे भीमने कहा कि आप जाइए, में आकर उस नर-पिशाचको अपनी बलि दे दूंगा । भीमके वचनोंको सुन कर यमके दूत जैसा कोतवाल हर्षित होता हुआ चला गया । इसी समय पूर्व दिशामें सूरजका उदय हो आया । जान पड़ता था कि मानों उसके दुश्चरितको देखने के लिए ही आया है। और है भी सच कि दयालु पुरुष लोगोंके दुश्चरित्रको देख कर-जहॉ तक बन सकता है-उसे सुधारनेकी कोशिश करते हैं।
- इसके बाद एक गाड़ी सजाई गई और उसमें कढ़ाईभर भोजन रक्खा गया । उसके ऊपर भीम वड़ी निर्भयता-पूर्वक सवार होकर चला । वह ऐसा जान पड़ता था मानों उस नर-पिशाचको जलानेके लिए आग ही जा रही है। वह थोड़ी ही देरमें उस यमके जैसे पापी वकके पास पहुँच गया । उसे सामने आया देख कर वह दुष्ट उसके ऊपर झपटा और क्रोधसे गर्जना कर उसने सभी दिशाओंको शब्द-मय बना दिया | उसे इस तरह क्रोधित देख कर भीमने कहा कि दैत्येन्द्र, आओ मैं आज तुम्हारे भुजदण्डोंका पराक्रम देख कर , ही तुम्हें अपनी बलि दूंगा; वैसे नहीं । खेद है कि इतने काल तक तुमने इन गरीब लोगोंको व्यर्थ ही सताया । सच है कि जो दीनता दिखाते है, दॉतोंमें तिनकोंको दवा कर रहते हैं वे संसारमें मारे जाते है । तात्पर्य यह कि गरीबों