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पाण्डव-पुराण । अर्थात-नर-पुरुष-अर्थका वाचक कौन है ? सामान्यको कहनेवाला कौन है ? पहले व्रतमें क्या माना गया है ? और 'तुम कैसी होओगी?
उत्तरमें माताने कहा-ना (शब्द ), क, दया और नाकोदया (स्वर्गसे ' चय कर आये हुए पुत्रवाली)। तात्पर्य यह कि 'त' शब्दकी प्रथमा विभक्तिका एक वचन 'ना' और 'क' शब्दका 'क' दोनों एकत्र लिखनेसे हुआ 'नाका'। फिर दया शब्दका 'द' आगे होनेसे 'क' के आगेवाले विसर्गका हो गया 'ओ' तब अन्तके प्रश्नका उत्तर 'नाकोदया। हो गया। किसीने पूछा
सुखप्ररूपकं किं स्या-त्का भाषा च कृपातिगा।
भुजप्ररूपकः कः स्या-त्कः सेन्यो जनसत्तमैः ॥५॥ अर्थात्-सुखका प्ररूपक कौन है ? कृपा-विहीन कौनसी भाषा होती है ? भुजाओंको कहनेवाला कौन है ? उत्तम पुरुष किसकी सेवा करते हैं ?
___ माताने उत्तर दिया--शम् , अदया (जो दया विना बोली जाती है), कर, और शमदयाकर (समताभाव और दयाका आकर)। किसीने पूछा-- . .
वित्तमरूपकं किं स्या-त्पदं संग्रामतः खलु । ___ का स्यात्संग्रामशूराणां, कः स्यादर्जुनपाण्डव ॥ ६॥
अर्थात्-चित्तको कहनेवाला कौनसा शब्द है ? योधाओंको युद्धसे कौनसा पद मिलता है ? और गर्जुनको क्या कहते हैं ?
माता वोली-धन, जय, और धनंजय । किसी देवीने पूछा
पानार्थे पिब को धातू-रक्षणार्थेऽपि को मत । क. सामान्यपक्षभ्यासी, कृशानुः कोऽभिधीयते ॥७॥ आद्यक्षरं विना पक्षी, कः को मध्याक्षरं विना।
भुक्त्यर्हः कोन्त्यमुन्मुच्य, सम्बुद्धिः पानरक्षणे ॥८॥ अर्थात्-पीने अर्थमें जिसका कि लोटके मध्यपुरुषके एक वचनमें पिव रूप होता है, कौनसी धातु है ! तथा रक्षण अर्थमें कौन धातु है ? और सामान्य पदको कहनेवाला कौन है ? तथा कृशानु किसे कहते हैं ? इन प्रश्नोंके ऐसे उत्तर दीजिए जिनका मिला हुआ पद पहले अक्षरके विना पक्षीका कहनेवाला हो,