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पाण्डव-पुराण |
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कठिन काम कर सकता हूँ। यह देख एक राजा वोला कि वाह जव कि मैं पातालको भी उठा लाने के लिए समर्थ हूँ तब इसके लानेकी तो बात ही कितनी सी है । मैं अभी दोनों हाथोंसे इस कुँएको ही उखाड़ कर गेंद लिए आता हूँ । एकने कहा कि इस गेंदकी तो बात ही क्या चली, यदि मैं चाहूँ तो अपने वलसे इन्द्रको इन्द्रासन सहित ले आ सकता हॅू और पाताल-मूलसे पातालके रक्षक धरणेन्द्रको पद्मावती सहित बॉध कर आपके सामने ले आकर उपस्थित कर सकता हूँ । इस तरह उन वाचाल और चंचल जनोंने वड़ा क्षोभ मचाया; परन्तु गेंदको ले आनेके लिए कोई भी समर्थ न हुआ । सब उपाय कर करके रह गये । तव चंचल चक्षुओंसे वे एक दूसरे के मुॅहकी ओर देखने लगे। यह देख कर द्रोणाचार्यसे न रहा गया— उन्होंने उसी समय धनुष चढ़ाया और भ्रकुटी चढ़ा कर एक वार उसे पृथ्वी पर फटकारा | उसके भयानक शब्दकी कठोरतासे समुद्र में रहनेवाले दिग्गज तक वहिरे हो गये । इस समय द्रोण ऐसे जान पड़ते थे कि मानो वे मूर्तिमान धनुर्वेद ही हैं । और जब वे उस प्रचंड, अखंड और तीव्र तेजवाले धनुषको ऊपर की ओर तानते थे, तब ऐसे देख पढ़ते थे कि मानों वे इन्द्रधनुषको ही हाथमें लिये हुए हैं । उनके धनुषके प्रचंड शब्दको सुन कर गजोंको बड़ा त्रास हुआ । वे इधर उधर भागने लगे, जान पड़ता था भयके मारे वे दिग्गजों की शरणमें ही भागे जा रहे हैं। गंधर्वोके घोड़े बंधनोंको तोड़ कर भागे । यह देख गंधर्व देव कॉपने लगे । नगरवासी लोगोंने उस धनुषके शब्दसे यह समझा कि कोई शत्रु ही चढ़कर आ गया है । अत एव वे भी भागने लगे । स्त्रियाँ हाथमें बटलोई लिये अपने भोजन वगैरहके कामोंमें लगी हुई थीं । इतनेमें द्रोणके धनुषका शब्द हुआ । उससे वे बड़ी डरीं" और डरके मारे उनके वस्त्र तक गिर पड़े। सच है कि डरसे क्या नहीं होता - सभी अनहोनी बातें हो जाती हैं । इस तरह स्वयं चंचल लोगोंको द्रोणने और भी चंचल बना दिया । इसके बाद द्रोणने एक वाण ऐसा मारा कि वह जाकर गेंदमें जा छिदा । फिर क्या था, उन्होंने अब एकके बाद एक बाण मारना शुरू किया । वे बाण सिलसिले से बिंधते हुए गेंद से लेकर ऊपर तक एक लम्बी रस्सीके आकारके बन गये । इस प्रकार बड़ी आसानीसे वह गेंद निकाल ली गई, जिसे निकालनेके लिए कौरव असमर्थ थे। उस समय द्रोणकी धनुर्विद्याकी कुशलताको देख कर देवता और मनुष्य उसकी बड़ी तारीफ करने लगे; एवं पर्वतोंकी गुफाओं में बैठ कर किन्नर-गण उसके यशका गान करने लगे । राजा - गण उसके गुणोंकी प्रशंसा करते हुए कहने