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पाण्डव-पुराण |
की लालसाको प्राप्त होकर मनुष्य विपत्तिके पंजे में जा पड़ते हैं और फिर वहाँसे उन्हें छुटकारा पाना मुश्किल हो जाता है; जैसे हरिण व्याधके गानेसे मोहित हो अपने प्राणोंको खो बैठते हैं । मुनिका यह पवित्र उपदेश सुनकर धृतराष्ट्र ने पूछा कि स्वामिन्, कौरवोंके इस विशाल राज्यको धार्तराष्ट्र- दुर्योधन आदि - भोगेंगे या पांडव-गण । प्रभो, यह तो मैने कान देकर सुना कि जो कुछ पदार्थ दीख रहे हैं या जो प्यारे, उत्कृष्ट और विशिष्ट है वे सभी नष्ट होंगे, यह बात बिल्कुल सच्ची है । क्योंकि वस्तुका स्वभाव ही नाश होना है । और यह भी सुना है कि पहले बहुत से सत्पुरुष जो सव पदार्थोंके ज्ञाता हो गये हैं वे भी सव कालके ग्रास हुए । और जो वर्तमान में सुन्दर सुन्दर पुरुष देख पड़ रहे हैं वे भी कालके ग्रास बनेंगे । भावार्थ यह है, कि इस भूतल पर कोई भी वस्तु या मनुष्य स्थिर नहीं है । परन्तु सवाल यह है कि आगे जो महापुरुष होंगे वे थिर - अमर - होंगे या नहीं ? यह मुझे दया कर बता दीजिए। आगे पांडवोंकी कैसी स्थिति होनेवाली है और क्या आगे धृतराष्ट्रके पुत्र दुर्योधन आदि राजा होंगे ? हे नाथ, आप सुव्रत हैं,, योगींद्र और योग-योगांगके पारंगत है; अतः आपसे कोई भी वस्तु छिपी नहीं- आप सब कुछ जानते हैं ।
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मुनि बोले- मगध नाम एक देश है। वह पंडितों बुधों का निवास और रंभाओं नारियों से विभूषित है, अतः वह बुधों — देवतों और रंभाओं — देवगनाओं-से विभूषित स्वर्ग- लोकसा जान पड़ता है । ऐसा जाना जाता है कि मानों वह दूसरा स्वर्गलोक ही है । उसमें एक राजगृह नाम नगर है । वहॉ राजों के राजा राजराज — के ऊंचे महल बने हुए हैं और उसमें धनद - धनको देनेवाले दानी -और अमर - दीर्घजीवी लोग निवास करते हैं । अतः वह अमरावतीकी बराबरी करता है; क्योंकि वहाँ भी राजराज इन्द्र के बड़े ऊँचे महल बने हुए हैं; और उसमें भी धनद - कुबेर -- और अमर रहते हैं । वहाँका राजा है जरासंध | उसे सभी राजा गण मानते है । वह मान-मत्सर से रहित है, नौवाँ प्रतिनारायण है । उसकी रानीका नाम है कालिदसेना । उसका रूप यमुना नदीके जळकी नॉई नीला सा है । उसका शरीर विशाल और लक्ष्मीके जैसा शोभासे व्याप्त है । जरासंघके अपराजित आदि कई भाई हैं। वे अपराजित और उद्योगी हैं । कालयवन आदि विनयी उसके पुत्र हैं । वे नीतिवाले और सुकाल आदिके समान हैं । इस तरहसे वह राजगृहका स्वामी जरासंघ राजसिंह सा सुशोभित होता है। भूचर, खेचर आदि सभी उसकी सेवा करते हैं। उसने सारे