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नौवाँ अध्याय।
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और उनसे वे विभूषित होते थे । चाहे कैसा ही दुनिवार वैरी क्यों न हो उसे वे अपने सामने टिकने ही न देते थे और वैरियों पर विजय पानेको ही अपना परम कर्तव्य जानते थे । भीम बड़ा भयंकर योधा था । लोगोंकी भीतिको दूर करता था । शत्रु-रूप अधेरैको दूर करनेके लिये वह सूरज था; तेजस्वी. था। इसी प्रकार पार्थ भी उत्तम कार्योंको करनेवाला और समर्थ पुरुषों द्वारा पूजा जानेवाला था, द्वीप्तिशाली था । वह पार्थ-अर्जुन-सदा ही सुशोभित हो । उन कौरवोंकी विजय हो जो अतुल और विपुल लीलासे लक्षित हैं, जिनके शरीरमें नाना लक्षण हैं, जो सम्पूर्ण बलके विलाससे अलंकृत-विभूषितहै, निर्मल हैं, मनोहारी हारसे जिनका कंठ विभूषित है, चंचल तथा कमलकी नॉई जिनके नेत्र है और जो जिन भगवानके चरण-कमलोंमें लीन हैं।