________________
आठवॉ अध्याय।
Wuuuuuuu
owmv .. mun
आठवाँ अध्याय ।
अरनाथ प्रभुके बाद अरविंद नाम उनका पुत्र राजा हुआ । उसके बाद
'शूर, पद्मरथ और रथी राज-पाटके भोक्ता राजा हुए । रथीके बाद उसका मेघरथ नाम पुत्र राजा हुआ | उसकी प्रियाका नाम पद्मावती था । पद्मावती के गर्भसे विष्णु और पथरथ नाम दो पुत्र उत्पन्न हुए । वे दोनों महान वली थे । एक समय निष्पाप और बुद्धिमान् मेघरथ राजा किसी निमित्तको पाकर विष्णु नाम पुत्र-सहित दिगम्बर हो गया। उसके पीछे दयालु पद्मरथ कुरुजांगल देशके हस्तनागपुरका राजा हुआ; उसने हस्तनागपुरके राज-सिंहासनको अलंकृत किया।
इसी समय अवन्ती देशमे उज्जैनी नगरीका श्रीवर्मा नाम राजा था और उसके चार मंत्री थे। उनके नाम क्रमसे वकि, वृहस्पति, प्रल्हाद और नमुचि थे। वे वाद-विवाद करने में बहुत कुशल थे । उनकी जाति वाड़व थी। वादकी इच्छासे उनका दिल हमेशा ही डॉवाडोल रहा करता था । एक दिन उज्जैनीमें अकंपन-आचार्य आये । उनके साथ सौ मुनि और थे । वे सब वहाँ आकर बनमें ठहरे | भविष्यके ज्ञाता अकंपन मुनिने उसी वक्त सब मुनियोको वादविवाद करनेके लिए मना कर दिया । मुनियोंको आया जान सभी नगरवासी उनकी वन्दनाको वनमें आये । उन्हें जाते हुए देख कर राजाने कहा कि ये लोग कहाँ जाते हैं ! इसके उत्तरमें मंत्रियोंने कहा कि ये सब लोग मुनीश्वरोंकी चन्दनाको जा रहे हैं । यह सुन राजाके हृदयमें भी भक्तिका संचार हो आया और वह भी उसी समय वन्दनाके लिए चला।
वनमें जाकर उसने मुनियोकी वन्दना की । पर मुनियोंने बदलेमें राजाको शुभाशीर्वाद न दिया । यह देख राजासे मंत्रियोंने कहा कि राजन निश्चयसे ये लोग कोरे वैल हैं। इनमें कुछ भी ज्ञान नहीं है।
इसके बाद वे सब वहाँसे राजाके साथ साथ चले आये । दैवयोग मार्गमें आते हुए उन्हें एक श्रुतसागर नाम पाल मुनि देख पड़े । उन्हें देख कर मंत्रियौन सी उड़ाते हुए कहा कि राजन् , यह एक युवा बैल है। • यह सुन मुनिने मंत्रियोंके साथ बहुत विवाद किया और उन्हें हरा दिया, जिससे वे बहुत ही लजाये । इसके बाद मुनि अपने स्थानको चले आये और वहाँ