________________
ल्लीवाल जाति की उत्पत्ति एवं विकास
यह है कि पल्लोवाल जैनो के साथ इस प्रकार की घटना का कोई प्रमाण नहीं मिलता । थोडी देर को यह मान भी ले कि पल्लीवाल जैनों ने भी अपना तथाकथित मूल स्थान 'पाली' का त्याग किया था तब तो इस जाति का नाम भी पालीवाल ब्राह्मणो की तरह पालीवाल जैन होना चाहिए था न कि पल्लीवाल जैन । यदि कोई कहे कि पल्लीवाल पालीवाल शब्द का ही बिगड़ा रूप है, तो यह बात भी तर्क सगत प्रतीत नही होती क्योकि पालीवाल शब्द का सरलीकृत रूप पल्लीवाल कभी नही हो सकता। प्राचीन मति लेखो मे भी पल्लीवाल शब्द ही लिखा मिलता है, पालीवाल नहीं। हमे एक भी ऐसा लेख देखने को नही मिला जहाँ 'पालीवाल जैन' लिखा हो । अत पल्लीवाल जैनो का उद्गम पालीवाल बाह्मणो की तरह पाली से मानना सही नहीं है।
कोई कहे कि उक्त पाली को पहले 'पल्ली' नाम से जाना जाता था, तो यह बात भी तर्क संगत नही जान पड़ती। क्योकि ऐसा होता तो पालीवाल ब्राह्मणो को भी 'पल्लीवाल ब्राह्मण' कहा गया होता, लेकिन ऐसा है नही । कोई यह कहे कि पल्लीवाल जाति की उत्पत्ति के समय उक्त नगर का नाम पल्लो था तथा पालीवाल ब्राह्मणो की उत्पत्ति के समय उसका नाम पाली हो गया लेकिन इस बात का भी कोई प्रमाण नहीं है ।
अत पल्लीवाल जाति का सम्बन्ध न तो पालीवाल बाह्मणो से हो रहा है और न ही किसी पाली नगर से। इमका सम्बन्ध तो 'पल्ली' नाम के किसी नगर से ही होना चाहिए। [२.५] पल्लीवाल जाति की उत्पत्ति
अधिकतर इतिहासज्ञ जन जातियो की उत्पत्ति किसी न किसी नगर से हुई मानते है । जातियो के नाम भी इन्ही नगरो के नाम पर पडे, ऐसी ग्राम धारणा है । इसी आधार पर पाली नगर से पल्लीवाल जाति की उत्पत्ति भी मानो जाती है। लकिन हम पहले ही सिद्ध कर चुके है कि पल्लीवाल जाति की उत्पत्ति पाली नगर से नहीं हुई है।