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पल्लीवाल जैन जाति का इतिहास
हैं। सन् 1934 मे हमारे मन में यह भाव उत्पन्न हुआ कि यहाँ एक विशाल मेला कराया जाय । जैन समाज के कुशल व्याख्याता रायसाहब हकीम कल्याणराय जी, राजवैद्य प० इन्द्रमणी जी तथा बाबूलाल जी (ताले वालो ने ), बसतलाल जी मालिक बसत लौक फैक्ट्री अलीगढ ने इस कार्य मे पूरा-पूरा सहयोग दिया। यह महोत्सव इस इलाके मे अनूठे ढंग का रहा । यह मेला बडी धूमधाम से चार दिन चला। इस मेले मे जैन व अर्जुन बन्धुश्री ने पूरा सहयोग दिया ।
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हमारे कोई सन्तान नहीं थी इसलिये हमारी घर वालो अपनी चचेरी बहन चम्पादेवी के सुपुत्र चि० जितेन्द्र प्रकाश को फिरोजाबाद से सन् 1937 मे ले आई थी । सन् 1941 मे हमने गोद की रस्म कर दी । देहली व मथुरा का पढाई के पश्चात् 17 मई सन् 1946को फिरोजाबाद के सुप्रसिद्ध हकीम गुलजारीलाल जी जैन विशारद की सुपुत्री सरला देवी स जितेन्द्र प्रकाश का विवाह हुआ । उक्त अवसर पर हमने 501 रु० सामाजिक सस्थाओ को दान किये । अव जितेन्द्र प्रकाश के 4 लडके 4 लडकियाँ कुल 8 सन्तान है जिसमे सबसे बडी सुपुत्री शशि जैन का शुभ विवाह चि० सुरेश चन्द्र जैन सुपुत्र स्व० लाला बलदेव प्रसाद जी जन तिस्सा वालो से 10 जुलाई सन् 1967 में हुआ ।
हमारी स्त्री का सितम्बर 1950 मे लम्बी बीमारी के बाद स्वर्गवास हो गया ।
(5-15) मुनि श्री अनन्त सागर जी
मुनि श्री अनन्त सागर जी महाराज का जन्म वि स 1940 के लगभग हुआ या । प्राप पल्लीवाल जात्युत्पन्न थे तथा कानपुर मे साझे मे व्यापार करते थे । तीन साझेदारो मे से एक श्री उमराव सिंह जी भी पल्लीवाल थे ।
बचपन से ही आपको धर्म के प्रति बहुत रुचि थी । ससार