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विशिष्ठ व्यक्तियो का सक्षिप्त परिचय
कृपा जैनियो की रही कमा लिया कुछ दाम, चले गये हम सरधने पिता बने सुर
ईश
सेवा के बदले हमे दे गये शुभ माशीष, कन्याशाला दिवश में रंन समय शिशु शाल
शिक्षा दे नो वर्ष लो दिखला दिया कमाल, चौबीस वर्ष प्रचारकी की दिल्ली में श्राय
जैन अनाथाश्रम तना भवन दिया बनवाय. ईस्वी सन् उन्नीस से अडतीस लो करि काम
छोड अनाथालय किया एक वर्ष विश्राम |
करषा छन्द
ऋषभ ब्रह्मचर्याश्रम गुरुकुल मथुरा चौरासी सरनाम अवैतनिक छै वर्ष अधिष्ठाता के पद पर कीना काम । प्रार्थिक दशा सुधारि बनाया प्रति विशाल गुरुकुल का धाम, किया रातदिन कठिन परिश्रम घर का तजि कर काम तमाम ।
पुरुषारथ थक गये वुढापे मे सारे उत्साह भगे
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होकर उदास सब सम्थाप्रो से दिल्ली घर पर रहने
लगे ॥
दोहा
प्रौरस सुत कोई नही दत्तक सुत है एक नाम जितेन्द्र प्रकाश है राखे कुल की टेक, कौन किसी को देत है कौन किसी का लेत काटे इम भव प्रायके बोया पर भव खेत ।
'जीवन सम्बन्धी विशेष घटनायें "
उत्तर प्रदेश के जिला अलीगढ मे काजमाबाद एक कस्बा है वही हमारा जन्म सन् 1881 में हुआ। किसी समय इस ही काजमा - बाद मे पल्लीवाल जैनियो के 50 घर थे, लेकिन अब केवल 2 घर