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पल्लीवाल जैन जाति का इतिहास
लगाया जा सकता है कि आप बहुत विद्वान थे। आपने अन्य ग्रन्थो की टीकाएँ अथवा रचनाएँ की या नहीं, इसकी कोई जानकारी नहीं है। (5-8) प० नन्नमल जी
आपका जन्म सन् 1860 ई० में प्रागरा मे हुमा। आप प्रागरा के ही रहने वाले थे। आपकी जाति पल्लीवाल तथा गोत्र वारोलिया था। आप आगरा के 'दिगम्बर जैन विद्यालय के संस्थापक थे। आप बहुत विद्वान थे । आपने बहुत से शास्त्रो का अध्ययन किया था। आप नित्यप्रति धूलिया गज, आगरा, स्थित 'श्री पल्लीवाल दिगम्बर जैन मन्दिर' मे शास्त्र प्रवचन किया करते थे । आपका स्वर्गवास सन् 1920 मे आगरा में हो गया।
पडित जी के बारे मे एक बात प्रसिद्ध है। आप किसी छाते वाले के यहाँ नौकरी करते थे। आप वर्षभर मे मात्र छह माह ही नौकरी करते थे तथा बाकी के दिनो मे पाप आगरा तथा इसके आसपास के गांवो मे भ्रमण करके जैन धर्म का प्रचार करते थे। (5-9) लाला लालमन जैन
__ लाला लालमन जी जैन-समाज के उन अग्रणी लोगो मे से हैं जिन्होने जैन शास्त्रो को प्रकाशित करने का कार्य प्रारम्भ किया। इनका जन्म आषाढ सुदी 8 वि सवत् 1919 (सन् 1862 ई०) को तहसील रामगढ, रियामत अलवर (राजपूताना )मे सिपाही विद्रोह के पाँच वर्ष बाद हुआ था। इस गाँव को ठाकुर रामसिह जी ने सवत् 1810 मे बसाया था और लाला लालमन जी के पडदादा चैनसुख दास जी पल्लीवाल जैन चीमा-सामू (रियासत जयपुर) से ठाकुर साहब के साथ पाकर दीवान रहे थे। इस गाव को ठाकुर रामसिह जी के सुपुत्र स्वरूपसिह जी से महाराजा अलवर ने सवत् 1840 मे अपने प्राधीन कर लिया था।