________________
54. अन्तो णस्थि सुईण कालो थोमो वयं च दुम्मेहा ।
त णवर सिक्खियध्वं जि जरमरणक्खय कुणहि ॥
55
सवहिं राहिं छहरसहि पर्चाह रूहि चित्तु । जासु ण रंजिउ भुवणयलि सो जोइय करि मित्तु ।।
56.
देह गलंतह सवु गलइ मइ सुइ घारण धेउ । हि तेहइ वढ अवसरहिं विरला सुमहिं देउ ॥
57
उम्मणि थक्का जासु मणु भग्गा भूवहिं चारु । जिम भावइ तिम संचरउ ण वि भउ रण वि संसारु ॥
सुक्खाडा दुइ दिवहडइ पुणु दुक्खहं परिवाडि । हियडा हउँ पइ सिक्खवमि चित्त करिज्जहि वाडि ॥
59
जेहा पाणह झुपडा तेहा पुत्तिए काउ । तित्यु जि णिवसइ पाणिवइ तहि करि जोइय भाउ ॥
मूलु छडि जो डाल चडि कहं तह जोयाभासि । चीरु ण वुरगणह जाइ वढ विणु उट्टिय इ कपासि ।।
61.
मध्ववियप्पहं तुट्टह चेयणभावगयाह कोलइ अप्पु परेण सिहु हिम्मलझाणठियाहं ॥
5
अन्जु जिरिणज्जइ फरहुलउ लइ पइ देविण लक्ख । जित्यु चविणु परममुणि सव्व गयागय मोक्खु ।।
161
[ पाहु-दोहा चयनिका