________________
५०
पाहुड - दोहा
एक्कु सुवेयर अण्णु ण चेयड़ | तासु चरिर पर जाणेहिं देव इ ॥ जो अणुहवइ सो जि परियाणा । पुच्छंत समिति को आणइ ॥ १६५ ॥ जं लिहिर ण पुच्छिर कह च जाइ । कैहियउ कासु वि णउ चित्ति ठाइ । अह गुरुउवएसें चित्ति ठाइ । तं तेम धरतिहिं कहिं मिठाइ ॥ १६६ ॥
कट्टs सरिजलु जलहिविपिलिउ । जाणुं पवाणु पवणपडिपिल्लिउ ||
चोहु विचोहु तेम संदृ । अवर हि उत्तर ता शुं पयइ ॥ १६७ ॥
•
अंबार विविहु सद्दु जो सुम्मड़ । तहिं पड़सरहुं ण बुचड़ दुम्मइ ॥ मणु पंचहि सिहं अत्थवण जाइ । मृदा परमतत्तु फुडु तहिं जि ठाइ ॥ १६८ ॥
१ क. जाणइ, २ क, में थागे के तीन चरण नही हैं । ३६. जाण. ४ क. संवहह. ५ क ण. ६ क. सिङ, ७ क. संचयणह.